Sikkim Flash Flood: तीस्ता नदी की भीषण बाढ़ में मौत के मुहं से बाल-बाल बचे 150 मजदूर, जानिये मृत्यूु पर मिली जीत की पूरी कहानी
सिक्किम-पश्चिम बंगाल सीमा के पास रेल सुरंग निर्मित करने के कार्य में जुटे करीब 150 मजदूर तीस्ता नदी में बुधवार सुबह अचानक आई बाढ़ में बाल-बाल बच गए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
कोलकाता: सिक्किम-पश्चिम बंगाल सीमा के पास रेल सुरंग निर्मित करने के कार्य में जुटे करीब 150 मजदूर तीस्ता नदी में बुधवार सुबह अचानक आई बाढ़ में बाल-बाल बच गए क्योंकि बाढ़ का पानी प्रवेश करने और उनका शिविर एवं सामान बहा ले जाने से कुछ मिनट पहले उन्हें वहां से निकाल लिया गया था।
ये लोग जिस निजी कंपनी के लिए काम कर रहे थे, उसके अधिकारी बाढ़ आने की सूचना मिलते ही समय रहते वाहनों के साथ उनकी कॉलोनी में पहुंचे और सो रहे मजदूरों को वहां से निकाला, जिनकी मौत लगभग तय थी।
पश्चिम बंगाल के कलिमपोंग जिले के राम्बी बाजार से करीब दो किलोमीटर दूर ‘जीरो मील’ के नजदीक स्थित शिविर को तीस्ता नदी ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है, और पूरे इलाके में कई फुट कीचड़ जमा हो गया है।
सो रहे मजदूरों को फोन कर जगाते हुए अधिकारियों ने उनसे जल्द से जल्द अपना सामान समेटने और आवश्यक सामान के साथ नदी तट पर स्थित शिविर को खाली करने का आदेश दिया।
अंततः, उन्हें लाने के लिए भेजे गए एक सुरक्षा गार्ड की मदद से मजदूर समय की कमी को ध्यान में रखते हुए एक दूसरे रास्ते से शिविर से निकले। वे लगभग 20 मिनट पैदल चलने के बाद वाहन परिचालन योग्य निकटतम सड़क तक पहुंचे।
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सड़क पर सुरक्षित पहुंचने पर जब मजदूरों ने पीछे मुड़कर शिविर की ओर देखा तो उन्हें अपना शिविर डूबता हुआ दिखा। सब कुछ जलमग्न हो गया था। मजदूर प्रकृति के विनाश और जीवित बचने की राहत के मिश्रित भाव से रो पड़े।
वहां काम करने वाले शिबयेंदु दास (32) ने बताया, ‘‘ जब हमने अपने शिविर को जलमग्न होते देखा, तो हमारा दिल रो पड़ा। यह विश्वास करना मुश्किल था कि महज 15-20 मिनट पहले हम उसी स्थान पर सो रहे थे। ईश्वर की कृपा से हम सबकी जान बच गई।’’
दास उन 150 मजदूरों में हैं, जिन्हें बचाया गया है। बचाये गए मजदूर असम, बिहार, पंजाब और पश्चिम बंगाल के निवासी हैं और भारतीय रेलवे के सेवोके-रंगपो परियोजना के तहत पांच सुरंगों का निर्माण कार्य कर रहे थे। यह रेलवे लाइन सिक्किम को पूरे देश से रेल नेटवर्क से जोड़ेगी।
पश्चिम बंगाल में 24 परगना जिले के बशीरहाट इलाके के रहने वाले मजदूर ने बताया, ‘‘हमने अपना भोजन, उपकरण, गैस सिलेंडर, निजी सामान - सब कुछ खो दिया। हम अपने साथ केवल पैसे, महत्वपूर्ण कागजात और कुछ कपड़े लाने में ही कामयाब रहे। मैं उस स्थान पर करीब दो साल से काम कर रहा था, लेकिन कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा।’’
सुरक्षा गार्ड एकमात्र व्यक्ति था जो उन्हें बचाने के लिए तीन अक्टूबर को तड़के शिविर आया था।
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दास के परिवार में उनकी पत्नी और बेटी है। दास ने कहा, ‘‘हमारे आश्चर्य की तब सीमा नहीं जब हमने देखा कि सड़क पर कुछ अधिकारी दो ट्रक के साथ हमारा इंतजार कर रहे थे।’’
मजदूरों के बचाव कार्य में शामिल एक अधिकारी ने बताया, ‘‘हमें देर रात दो बजे (रम्बी बाजार के नजदीक के) रेयांग गांव निवासी एक परिचित का फोन आया, जिसने बताया कि पुलिस बचाव कार्य के लिए गई है क्योंकि तीस्ता का जलस्तर बढ़ रहा है। हमने मजदूरों को बचाने का फैसला किया क्योंकि उनका शिविर नदी के किनारे था।’’
चार अधिकारी और सुरक्षा गार्ड मजूदरों को बचाने के लिए दो ट्रक के साथ उनके शिविर तक गए थे।
अधिकारी ने बताया, ‘‘सभी 150 मजदूरों को रम्बी बाजार स्थित खाली गोदाम तक पहुंचाने में ट्रक ने सात फेरे लगाए। वे लोग घबराए हुए थे और शारीरिक रूप से थके हुए थे। हमने उनका मनोबल बढ़ाया और हिम्मत दी।’’
उस रात बचाव अभियान के दौरान मौजूद रहे एक इंजीनियर ने कहा कि सभी 150 मजदूरों को बाद में रेयांग गांव के पास एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जहां परियोजना के तहत बन रही सुरंगों में से एक का निर्माण किया जा रहा है।