उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 324 पद रिक्त: सरकार
सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बताया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 320 से अधिक पद रिक्त हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बताया कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 320 से अधिक पद रिक्त हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्च सदन में एक सवाल के लिखित जवाब में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह भी कहा कि मौजूदा ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ (एमओपी) के अनुसार, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों का स्थानांतरण जनहित में किया जाता है ताकि पूरे देश में न्याय के बेहतर प्रशासन को बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘एमओपी में न्यायाधीशों के एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है।’’
एमओपी को 1998 में तैयार किया गया था। यह दस्तावेजों का एक सेट है जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण संबंधी फैसलों का मार्गदर्शन करता है। चूंकि, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, इसलिए यह उनकी नियुक्ति और पदोन्नति का मार्गदर्शन करता है।
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चार दिसंबर की स्थिति के अनुसार शीर्ष अदालत प्रधान न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या के साथ काम कर रही है।
मेघवाल ने कहा कि जहां तक उच्च न्यायालयों का संबंध है, न्यायाधीशों के 1,114 स्वीकृत पदों में से 790 न्यायाधीश काम कर रहे हैं और 324 पद रिक्त हैं।
मेघवाल ने कहा कि इस साल जनवरी तक उच्च न्यायालय कॉलेजियम से प्राप्त 171 प्रस्ताव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 121 नए प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, कुल 292 प्रस्तावों में से 110 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई है और 60 सिफारिशें उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सलाह पर उच्च न्यायालयों को भेजी गई हैं।
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उन्होंने यह भी कहा कि इस साल चार दिसंबर तक 122 प्रस्तावों पर कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इन 122 प्रस्तावों में से 87 को सलाह लेने के लिए उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के पास भेजा गया था। उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 45 प्रस्तावों पर सलाह दी है, जो सरकार में प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं।