इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के मामले में सुनाया ये बड़ा फैसला, जानिये पूरा अपडेट
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि बदली हुई परिस्थिति में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता की मांग करते हुए दूसरा आवेदन दाखिल किया जा सकता है जिससे दावेदारी करने वाला व्यक्ति उक्त प्रावधान के तहत पात्र होगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि बदली हुई परिस्थिति में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता की मांग करते हुए दूसरा आवेदन दाखिल किया जा सकता है जिससे दावेदारी करने वाला व्यक्ति उक्त प्रावधान के तहत पात्र होगा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने श्याम बहादुर सिंह द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय दिया। श्याम सुंदर सिंह नामक व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी को प्रति माह 1500 रुपये गुजारा भत्ता देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।
अदालत ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी बनी रहती है और यदि गुजारा भत्ता के लिए आवेदन करने का अधिकार खत्म कर दिया जाता है तो इससे इसका उद्देश्य ही बेकार हो जाएगा।
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पीठ ने पिछले सप्ताह पारित अपने निर्णय में कहा कि कुछ ऐसी स्थितियां हो सकती हैं जहां एक व्यक्ति फिलहाल अपना गुजारा करने की स्थिति में हो, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों की वजह से अपने संसाधन गंवाने के बाद गुजारा भत्ता के लिए नए सिरे से अधिकार प्राप्त किया जा सकता है।
अदालत ने बांदा के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के जनवरी, 2004 के आदेश को सही ठहराया जिसमें श्याम सुंदर सिंह की पहली पत्नी द्वारा अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत दाखिल आवेदन को स्वीकार कर लिया गया था।
इस मामले में श्याम सुंदर की पहली पत्नी ने अपने पति से गुजारा भत्ता का दावा करते हुए आवेदन किया था जिसे कुछ निश्चित आधार पर जनवरी, 1995 में खारिज कर दिया गया था।
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इसके बाद, 2003 में उसने इस आधार पर दूसरा आवेदन किया कि परिस्थितियां बदल गई हैं और श्याम सुंदर ने दूसरा विवाह कर लिया है। इसलिए वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार है।
बांदा की अदालत ने दूसरा आवेदन जनवरी, 2004 में स्वीकार कर लिया और श्याम सुंदर को अपनी पहली पत्नी को प्रति माह 1500 रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। श्याम सुंदर ने इस आदेश को चुनौती दी थी जिसे अपर जिला जज, बांदा द्वारा खारिज कर दिया गया था।