औरैया में ये क्या हो रहा है?
क्या लोकतंत्र में सत्ता के खिलाफ बोलना अपराध है? क्या यदि कोई सत्ताधारी दल के खिलाफ वोट देगा तो उसे कुचलने का काम किया जायेगा?
नई दिल्ली: औरैया में राजनीतिक रंजिश के चलते सत्ता के विरोध में बोलने वालों को पुलिस के माध्यम से कुचलने का काला खेल खेला जा रहा है।
मामला जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ा हुआ है। सूबे में सरकार बदलने के बाद अगस्त महीने में सपा समर्थित औरैया जिला पंचायत अध्यक्ष राजवीर यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। 22 अगस्त को अविश्वास प्रस्ताव के दौरान हुई वोटिंग में जिला पंचायत सदस्य पुष्पेन्द्र कठेरिया ने अपना वोट सपा को दिया। यह बात भाजपा समर्थित प्रत्याशी और अविश्वास प्रस्ताव के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष बने दीपू सिंह को खल गयी। यहीं से राजनीतिक दुर्भावना का खेल शुरु होता है।
जिस भी जिला पंचायत सदस्य ने दीपू सिंह के खिलाफ मतदान किया उसे और उसके परिवार को पुलिस के माध्यम से कुचलने का काम शुरु कर दिया गया।
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22 साल की उम्र में जिला पंचायत सदस्य बनने वाले दलित युवक पुष्पेन्द्र के घर 25/26 अगस्त की रात को दीपू सिंह के 20-25 गुर्गों ने जमकर तांडव मचाया। पहले तो घर को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया। फिर जी नही भरा तो गाड़ी भी तोड़ डाली। इसके बाद उल्टे पुष्पेन्द्र के खिलाफ ही स्थानीय पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। अब आये दिन गिरफ्तारी के लिए घर पर दबिश दी जा रही है। हालत यह है कि पिछले 50 दिन से पुष्पेन्द्र पुलिसिया उत्पीड़न के भय से अपने घर नही जा पा रहा है और मारा-मारा फिर रहा है।
पुष्पेन्द्र ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उसने इस अत्याचार के खिलाफ लखनऊ में बैठे पुलिस-प्रशासन के सभी उच्चाधिकारियों को बताया है लेकिन कहीं से मुझे राहत नही दी गयी उल्टे मेरा उत्पीड़न बढ़ता ही चला गया। इसने कहा कि जिले के पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी मेरी एक भी बात नही सुन रहे हैं और दीपू सिंह के इशारे पर मुझे कुचलने का काम अपने मातहतों से करा रहे हैं। पुष्पेन्द्र ने बताया कि इस उत्पीड़न के बारे में उसने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी शिकायत दर्ज करायी है।
हमारे संवाददाता के मुताबिक शनिवार को पुष्पेन्द्र ने दिल्ली में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष औऱ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाक़ात की और अपने उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताया। इस पर अखिलेश ने उसे आश्वस्त किया कि समाजवादी पार्टी इस संघर्ष में उसके पूरे परिवार के साथ पूरी तरह खड़ी रहेगी।
डाइनामाइट न्यूज़ की पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आया कि पुष्पेन्द्र अकेले उत्पीड़ित होने वाला जिला पंचायत सदस्य नही है। इसके अलावा जिसने-जिसने भी दीपू सिंह के खिलाफ मतदान किया उसे सत्ता और पुलिस का नापाक गठजोड़ कुचलने का काम कर रहा है। बसपा के सहारे जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते विपिन पाल के साथ भी कुछ ऐसा ही काम दीपू सिंह के गुंडों ने किया। 4-5 गाड़ियों में लैस होकर पहले तो विपिन के घर पहुंचे फिर जमकर पिटाई की। इस घटना के बाद से ही विपिन भी घर छोड़ कर भागा हुआ है।