Ballia: गंगा और सरयू के तटों पर विधि-विधान से दी गई पितरों को विदाई

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के बलिया में पितृपक्ष के अंतिम दिन गंगा और सरयू के तटों पर विधि विधान से पितरों को विदाई दी गई। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पिंड दान करते लोग
पिंड दान करते लोग


बलिया: उत्तर प्रदेश के बलिया में पितृपक्ष (Pitru Paksha) के अंतिम दिन यानी अमावास्या (Amavasya) को क्षेत्र के गंगा, सरयू नदी एवं तालाब, पोखरा व पीपल के पेड़ के नीचे के साथ ही अपने-अपने घरों के बाहर लोगों ने तर्पण के साथ पितरों की विदाई (Pitru Paksha Fairwell) की। इसके साथ ही अकाल मृत्यु, वंश वृद्धि, शारीरिक पीड़ा व रोग व्याधि से मुक्ति के लिए पितरों से आशाार्वाद लिया। इसके पूर्व लोगों ने अपने-अपने सिर के बाल को साफ करवाया। तत्पश्चात पितरों का पिंडदान (Pind Daan) व तर्पण कर विदाई की।

विधि विधान से किया पिंडदान

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार बुधवार की सुबह से ही जिले के गंगा सहित विभिन नदी के घाटों पर अपने पितरों के तर्पण व श्राद्ध कर्म के लिए लोग पहुंचे। पुरोहितों के बताए अनुसार विधि विधान से पिंडदान, जलदान, तिलांजलि आदि देकर श्राद्ध किया। इसके अलावा अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य कर पितरों से परिवार पर के सुख-समृद्धि की कामना की। इसके पश्चात ब्राम्हण को भोजन कराया। 

अमावस्या का है विशेष महत्व
इस दौरान लोगों ने शहर के महावीरघाट, शिवरामपुर गंगा घाट, रामगढ़, बैरिया, जयप्रकाश नगर, बेल्थरारोड आदि में विभिन्न नदी घाटों पर श्राद्ध कर्म किया। जबकि कुछ लोगों ने अपने घर के बाहर या गांव के बाहर श्राद्ध कर्म किया। मान्यता है कि पितृपक्ष में सभी पितृ देवता धरती पर अपने घरों में आते है और तर्पण आदि ग्रहण करते है, उसके बाद अमावस्या पर सभी पितर अपने लोक को लौट जाते है। पितरो के लिए अमावस्या का विशेष महत्व है।

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