DN Exclusive बलरामपुर: विभागीय शिथिलता के कारण बिना मान्यता के चल रहे कई स्कूल, फल-फूल रही शिक्षा की दुकानें
जनपद मुख्यालय से लकेर तहसील व ब्लॉक स्तर पर शिक्षा का नाम पर काले कारोबार का कारनामा धड़ल्ले से जारी है। विभाग भले ही बिना मान्यता के बिना संचालित होने वाले स्कूलों पर कागजी कार्रवाई कर बंद कर स्वयं की पीठ थपथपा रहा है, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है।
बलरामपुर: विभागीय शिथिलता के कारण जिले में बिना मान्यता के कई स्कूल संचालित हो रहे लेकिन प्रशासन को इसकी खबर नहीं है या फिर प्रशासन इनके खिलाफ कार्यवाही से बच रहे है। इंग्लिश मीडियम व कान्वेंट स्कूलों के नाम पर अभिभावकों की जेब खूब ढीली की जा रही है। मनमानी फीस व निर्धारित दुकानों से किताब-कॉपी सहित अन्य पाठ्य सामग्रीयों को खरीदने का दबाव विद्यालय संचालकों द्वारा अभिभावकों पर बनाया जा रही है जिससे अभिभावक शिक्षा के नाम पर लगातार ठगे जा रहे है।
अधिकारियों की सांठ-गांठ
जनपद मुख्यालय सहित तहसील ब्लॉक स्तर पर झोलाछाप विद्यालयों की भरमार है। विभाग भले ही बिना मान्यता के बिना संचालित होने वाले स्कूलों पर कागजी कार्रवाई कर बंद कर स्वयं की पीठ थपथपा रहा है, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। मुख्यालय सहित बिजलीपुर, कटरा शंकर नगर, टेढ़ीपुरवा, बेल्हा, नसीबगंज, आबर, गौरा चैराहा, जैतापुर, हरिहरगंज, महाराजगंज तराई, ललिया शिवपुरा, बलदेव नगर, जरवा, तुलसीपुर, गैसड़ी, पचपेड़वा, उतरौला, पेहर, रेहरा बाजार, गैडास बुर्जुग, महदेइया, श्रीदत्तगंज, मझौव्वा, जुआथान, श्रीनगर, धर्मनगर, विशुनापुर, भगवतीगंज, उदयराजपुरवा सहित अन्य छोटे बड़े कस्बों में झोला छाप विद्यालयों की भरमार है। इन स्कूलों का अधिकारियों की सांठ-गांठ संचालित होने की चर्चा जोरों पर है।
बेखौफ चल रहे झोला छाप विद्यालय
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अभिभावक फर्जी स्कूलों के बैनर, पोस्टर, पम्पलेट में दर्ज मान्यता के दावों में फंस कर बच्चों का दाखिला करा रहे है। विद्यालय संचालक शासन के मानक व मान्यता को ताक पर रखकर अभिभावकों से मनमानी फीस व सेटिंग-गेटिंग नीति अपनाकर भारी भरकम बजट का बोझ अभिभावकों पर लाद रही है। बिजलीपुर मन्दिर के समीप व कटरा शंकर नगर में एचडीएम पब्लिक स्कूल के नाम से दो विद्यालय संचालित हो रहे है। एक इंग्लिश मीडियम तो दूसरा हिन्दी माध्यम से संचालित है। जानकारों की माने तो एक स्कूल की पांचवी तक मान्यता है जबकि वहां आठवीं कक्षा तक बच्चों के दाखिले लेकर पढ़ाई कराई जा रही है। वहीं इंग्लिश मीडियम स्कूल बिना मान्यता के ही संचालित है।
पांचवी तक मान्यता आठवीं तक क्लास
हरिहरगंज बाजार स्थित आरपी ग्लोबल पब्लिक स्कूल को मई 2018 माह में सदर खंड शिक्षाधिकारी मनीराम वर्मा ने जांच कर बिना मान्यता के संचालित होना पाया था जिसके बाद स्कूल संचालक को नोटिस देते हुए स्कूल की तालाबंदी की थी। विभागीय सांठ-गांठ से इस स्कूल में जुलाई में नर्सरी से पांचवी तक स्कूल की मान्यता होने की बात कही जा रही है। मौके पर विद्यालय में जूनियर सेक्सन विभाग की आंखों में धूल झोंककर बेखौफ चलाए जा रहे है।
विभागीय आदेशों की उड़ रही धज्जियां
हरिहगंज बाजार में ही पार्वती इंटर कॉलेज आठवी की मान्यता पर बोर्ड की कक्षाएं संचालित कर विभागीय आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा है। विद्यालय के ऊपर इंटर कॉलेज लिखकर अभिभावकों को गुमराह कर बच्चों का दाखिला करके उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसी तरह उदय राजपुरवा में चन्द्रशेखर पब्लिक स्कूल में भी मान्यता के नाम पर गोलमाल होने की चर्चा है। इस विद्यालय में भी बोर्ड कक्षाएं संचालित होने की बात कही जा रही है।
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मानक व मान्यता के नाम पर खेल
बिना प्रशिक्षित अध्यापक, टीन शेड, निर्माणाधीन भवन, बिना भूकम्प रोधी भवन, मानक के अनुरूप कक्ष न होने वाले स्कूलों को मान्यता मिलना विभागीय कार्य शैली पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है। सूत्रों की माने तो मान्यता के नाम पर शिक्षाधिकारियों की सेटिंग-गेटिंग ही मानक पूरा किये बिना स्कूलों को मान्यता मिलना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ से कम नहीं है। जानकारों की माने तो मान्यता वाले स्कूलों के मानक की जांच करा ली जाए तो व्यापक पैमाने पर स्कूलों की कमियां उजागर होगी।
सीएम के आदेशों की भी परवाह नहीं
प्रदेश में योगी सरकार ने फर्जी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए जो दावे किए, वह जिले में हवाहवाई साबित हो रहे है। मानक व मान्यता को ताक पर रखकर बेखौफ स्कूल संचालित है। आलम यह है कि कहीं बिना मान्यता के स्कूल संचालित है तो कही पांचवी की मान्यता पर जूनियर की कक्षाएं संचालित हो रही है तो कहीं जूनियर की मान्यता पर माध्यमिक की कक्षाएं संचालित है। जिले मे बेसिक व माध्यमिक शिक्षाधिकारियों की उदासीनता के चलते प्रतिवर्ष झोलाछाप स्कूलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
बीएसए का गैर-जिम्मेदाराना जबाव
डाइनामाइट न्यूज़ ने जब जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी से मानकों को ताक पर रखकर विद्यालय संचालन व अधिक फीस वसूली के बारे में पूछा तो उन्होंने गैर जिम्मेदाराना जवाब देते हुए कहा कि अभिभावक अधिक फीस क्यों देते है?
बेसिक शिक्षा अधिकारी के जवाब से ही विभागीय कार्यशैली व स्कूल संचालकों के साथ सांठ-गांठ कर फर्जी विद्यालयों के संचालन की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।