बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार तक स्थगित की
बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने सोमवार को आहूत अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल स्थगित कर दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
ढाका: बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने सोमवार को आहूत अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल स्थगित कर दी है।
शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार पर सत्ता छोड़ने और अगले महीने गैर-पक्षपातपूर्ण आम चुनाव कराने के लिए दबाव बनाने के वास्ते हड़ताल का आह्वान किया गया था। बांग्लादेश में सात जनवरी को आम चुनाव होने हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के वरिष्ठ संयुक्त महासचिव रुहुल कबीर रिजवी ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हड़ताल अब मंगलवार को होगी।
यह भी पढ़ें |
बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने अपनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार तक स्थगित की
‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार ने बीएनपी नेता के हवाले से खबर दी है कि कुवैत के अमीर शेख नवाफ अल-अहमद अल-सबा के निधन के बाद बांग्लादेश ने सोमवार को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है, इसलिए बीएनपी ने विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया है।
अखबार में कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के नेतृत्व में बीएनपी ने मौजूदा सरकार के इस्तीफे और कार्यवाहक सरकार बनाए जाने की अपनी मांगों पर दबाव डालने के लिए शनिवार को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी। बीएनपी ने पूर्व में घोषणा की थी कि वह चुनावों का बहिष्कार करेगी।
देश के आम चुनावों के लिए तैयारी के बीच राजनीतिक गतिविधि बढ़ने के साथ, बांग्लादेश सेना ने कहा है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैनिकों को तैनात करेगी।
यह भी पढ़ें |
IND vs BAN: आज नागपुर में होगी आर-पार की लड़ाई, जानें कहां और कब देख सकेंगे मैच
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बीएनपी द्वारा चुनाव का बहिष्कार करने और इसके खिलाफ कोई अन्य विश्वसनीय विपक्षी दल नहीं होने के कारण, हसीना की अवामी लीग को बढ़त मिलने की संभावना है और वह लगातार चौथी बार सरकार बना सकती हैं। बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन 2018 के चुनाव में हिस्सा लिया।
अमेरिका और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों ने समावेशी और विश्वसनीय चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सत्तारूढ़ अवामी लीग और खासकर बीएनपी के बीच बातचीत का आह्वान किया, हालांकि, दोनों पक्षों की अनिच्छा के कारण कोई प्रगति नहीं हुई।