नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री का आया बड़ा बयान, चीन की तुलना में नेपाल का भारत के साथ संबंध अधिक प्रगाढ़
नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिमलेन्द्र निधि ने कहा है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत और चीन जैसे बड़े देशों के बीच स्थित नेपाल पर दोनों पड़ोसी देशों का प्रभाव है, लेकिन ‘बेटी-रोटी’ का संबंध होने के कारण तुलनात्मक रूप से नेपाल का सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक संबंध भारत से अधिक प्रगाढ़ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
जनकपुर: नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिमलेन्द्र निधि ने कहा है कि क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत और चीन जैसे बड़े देशों के बीच स्थित नेपाल पर दोनों पड़ोसी देशों का प्रभाव है, लेकिन ‘बेटी-रोटी’ का संबंध होने के कारण तुलनात्मक रूप से नेपाल का सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक संबंध भारत से अधिक प्रगाढ़ है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बिमलेन्द्र निधि ने कहा, ‘‘नेपाल, भारत और चीन के बीच स्थित है। भारत और चीन आकार में बड़े हैं। दोनों देशों का प्रभाव नेपाल पर है, (साथ ही) नेपाल का भी दोनों देशों पर प्रभाव है।’’
उन्होंने कहा कि दुनिया के नक्शे को देखें, तो आकार में नेपाल छोटा देश नहीं है।
नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘तुलनात्मक रूप से देखें तो नेपाल का सांस्कृतिक, भौगोलिक और राजनीतिक संबंध भारत से अधिक प्रगाढ़ है।’’ उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच खून का रिश्ता है।
निधि ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच ‘बेटी-रोटी’ का रिश्ता है, जो काफी करीबी और बेहद प्रगाढ़ है, जबकि ऐसा (करीबी) संबंध चीन के साथ नहीं है।
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उनसे पूछा गया था कि पारंपरिक रूप से भारत और नेपाल के संबंध काफी प्रगाढ़ रहे हैं, लेकिन पिछले कई वर्षो में इसमें उतार-चढ़ाव देखा गया है, खासतौर पर चीन के संदर्भ में।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की हाल की नेपाल यात्रा के बारे में एक सवाल के जवाब में निधि ने कहा कि जयशंकर की इस यात्रा के दौरान हुए समझौते, खासतौर पर बिजली के क्षेत्र में हुए समझौते, दोनों देशों के लिए अहम हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की विकास यात्रा में आपसी सहयोग महत्वपूर्ण है और भारतीय विदेश मंत्री की नेपाल यात्रा काफी सफल मानी जायेगी।
निधि ने कहा कि ‘कनेक्टिविटी’ किसी भी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है और वह भारत एवं नेपाल के बीच इसे काफी महत्वपूर्ण मानते हैं।
उन्होंने नेपाल में ‘कनक्टिविटी’ को बढ़ावा देने में भारत के सहयोग को महत्वपूर्ण करार दिया। उन्होंने जनकपुर और अयोध्या के बीच सम्पर्क को बढ़ावा देने की आवश्यकता जताई।
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उन्होंने अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारे लिए हर्ष और गौरव की बात है कि अयोध्या में रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर जब भारत के उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया था तब जनकपुरवासी काफी खुश थे, क्योंकि मां जानकी का विवाह श्रीराम जी से हुआ था। यह खास रिश्ता है। जनकपुर में इसे लेकर खासा उत्साह है।’’
उन्होंने कहा कि श्रीराम केवल भगवान ही नहीं, बल्कि जनकपुर के लोगों के लिए दामाद भी हैं और जब बेटी-दामाद का गृहप्रवेश हो रहा है, तो (निश्चित तौर पर) काफी उत्साह होगा।