बिल्कीस बानो मामले में बड़ा अपडेट, दोषियों को सजा में छूट के खिलाफ याचिकाओं पर फिर अटका फैसला
उच्चतम न्यायालय ने बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिजनों की हत्या के सभी 11 दोषियों को पिछले साल सजा में छूट दिये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को 11 जुलाई तक के लिए टाल दी है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिजनों की हत्या के सभी 11 दोषियों को पिछले साल सजा में छूट दिये जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को 11 जुलाई तक के लिए टाल दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ, न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उन दोषियों को फिर से नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिन्हें नोटिस तामील नहीं हो सका है।
पीठ ने उन दोषियों के लिए गुजराती और अंग्रेजी सहित स्थानीय समाचार-पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया, जिन्हें नोटिस तामील नहीं हो सका है।
न्यायालय ने कहा कि समाचार-पत्रों में प्रकाशित किये जाने वाले नोटिस में सुनवाई की अगली तारीख (11 जुलाई) का भी उल्लेख किया जाना चाहिए।
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पीठ ने कहा, ‘‘हम यह प्रक्रिया इसलिए अपना रहे हैं, ताकि सुनवाई की अगली तारीख पर समय न खराब हो और सुनवाई आगे बढ़ सके।’’
सुनवाई की अगली तारीख 11 जुलाई को नयी पीठ गठित किये जाने की संभावना है, क्योंकि पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति जोसेफ 16 जून को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति जोसेफ का अंतिम कार्यदिवस 19 मई होगा।
उच्चतम न्यायालय में 20 मई से दो जुलाई तक ग्रीष्मावकाश है।
शीर्ष अदालत ने दो मई को भी मामले की सुनवाई उस वक्त टाल दी थी, जब कुछ दोषियों के वकीलों ने नोटिस तामील न होने पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
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गुजरात सरकार ने इस मामले के 11 दोषियों को सजा में छूट देते हुए पिछले साल 15 अगस्त को उन्हें जेल से रिहा कर दिया था।
दोषियों की रिहाई के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने याचिकाएं दायर की हैं।
बिल्कीस उस वक्त 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती भी थीं, जब गुजरात के गोधरा कांड के बाद शुरू हुए दंगों में उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और तीन साल की उनकी बेटी सहित परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी।