कांग्रेस के खिलाफ भाजपा का प्रदर्शन, ताला तोड़ घुसे अंदर...
सम्राट बाइसिकल की जमीन को लेकर भाजपाइयों ने निकाली रैली और किया प्रदर्शन। कांग्रेस कार्यालय का ताला तोड़ घुसे अंदर पुलिस बनी रही मूकदर्शक
अमेठी: गौरीगंज में बुधवार को भाजपा नेताओं एंव कार्यकर्ताओ ने कांग्रेस के खिलाफ सम्राट बाईसिकिल की जमीन को लेकर रैली निकाली। जिसमें उन्होंने जमकर प्रदर्शन व कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ भी किया। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने भाजपा नेताओं पर कांग्रेस कार्यालय के गेट का ताला तोड कर अंदर घुसने का आरोप लगाया कार्यालय का ताला तोड़ अंदर घुसे भाजपा नेताओं ने सम्राट मिल की जमीन को किसानो को वापस करने का मांगपत्र भी चस्पा किया।
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कांग्रेस के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने आरोप लगाते हुए कहा कि गेट में ताला बंद था और भाजपा के अराजक तत्व हाथ में भाजपा का झंडा लिये गेट का ताला तोड़ कर अंदर घुस गये। फिर कर तोडफोड करने लगे जब हम लोग मीट़िग छोड़ कर बाहर निकले तो वह भाग निकले यह पूरा हादसा प्रशासन की मिली भगत से हुआ है। पुलिस केवल तमाशा देख रही थी
बता दें कि 3 मार्च 2020 को कांग्रेस ने सभी तहसील मुख्यालयों पर भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया और सरकार विरोधी नारे लगाये गये थे। 27 फरवरी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सांसद स्मृति ईरानी के कैंप कार्यालय मे मांग पत्र चस्पा किया था। जिसको लेकर भाजपाईयों में आक्रोश था और बदले की भावना से आज कांग्रेस कार्यालय में ताला तोड़कर घुस गये और भाजपा का मांगपत्र चस्पा कर दिया।
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इस काम को लोग भाजपा की जवाबी कार्यवाही मान रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर कांग्रेस के केद्रीय कार्यालय का घेराव किया और सम्राट बाईसिकिल कारखाने में गयी किसानो की जमीन उन्हें वापस करने की मांग की और कांग्रेस विरोधी नारे लगाये।
बताते चले कि राजीव गांधी के अमेठी सांसद रहते हुए वर्ष 1983 में कौहार गांव में 65 एकड़ जमीन पर सम्राट बाईसिकिल कारखाने की स्थापना हुई थी। यह जमीन किसानों से ली गयी थी। राजीव गांधी की मृत्यु के बाद यह कारखाना बंद हो गया। कंपनी पर भारी लोन के चलते इसकी कुर्की हुई और अंत में दिल्ली हाईकोर्ट की निगरानी में 27 फरवरी 2015 को डीआरटी ने इसे नीलाम कर दिया। नीलामी में सर्वाधिक बीस करोड़ दस लाख की बोली लगाकर राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट ने इस जमीन को खरीद लिया था। जिसे सांसद स्मृति ईरानी लगातार किसानों को वापस करने की मांग कर रहीं हैं।