Nagpur: सी-20 सम्मेलन में दुनियां में बढ़ती असमानताओं पर चर्चा, अफ्रीकी बच्चों के लिए न्याय की मांग
महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित सिविल 20 इंडिया (सी-20) सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया में, विशेष तौर पर उप सहारा अफ्रीका में बढ़ती असमानताओं पर चर्चा हुई।
नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित सिविल 20 इंडिया (सी-20) सम्मेलन के दूसरे दिन दुनिया में, विशेष तौर पर उप सहारा अफ्रीका में बढ़ती असमानताओं पर चर्चा हुई।
उप-सहारा अफ्रीका में बड़ी संख्या में स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं।
सम्मेलन का विषय 'नागरिक समाज संगठन और मानव मूल्यों का संवर्धन' था।
सी-20, जी-20 के आधिकारिक समूहों में से एक है जो जी-20 के वैश्विक नेताओं तक अपनी बात पहुंचाने के दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों को एक मंच प्रदान करता है।
'100 मिलियन अभियान' के वैश्विक निदेशक ओवेन जेम्स ने एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा कि 2015 के बाद से 2.15 डॉलर प्रति दिन से कम पर गुजारा करने वाले उप-सहारा अफ्रीकियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि उप-सहारा अफ्रीका में बाल श्रम और स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है।
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उन्होंने कहा कि महाद्वीप में बेहतरीन प्राकृतिक संसाधन हैं, लेकिन अभी भी अविकसित है क्योंकि मुनाफे को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा रहा है।
विज्ञप्ति के मुताबिक, बैठक में 'सेवा-सेवा की भावना, परोपकार और स्वयंसेवा, वसुधैव कुटुम्बकम-विश्व एक परिवार है, विविधता, समावेशन, पारस्परिक सम्मान और मानव अधिकारों पर चर्चा की गई।'
'सेवा इंटरनेशनल' के वैश्विक समन्वयक श्याम परांडे ने कहा कि सम्मेलन में भाग लेने वालों को गौतम बुद्ध के 'अप्पो दीप भव (स्वयं प्रकाश बनो)' के संदेश का अनुसरण करना चलना चाहिए।
परांडे ने कहा, 'भारत में मूल्यों का एक लंबा इतिहास रहा है और ये भारतीय मूल्य वैश्विक मूल्यों से मेल खाते हैं।'
'भारतीय सामाजिक उत्तरदायित्व नेटवर्क' के सीईओ संतोष गुप्ता ने कहा कि 'जब हम सेवा करते हैं, तो हमारी आत्मा में यह भावना होती है कि हमें किस वजह के लिए काम करना चाहिए। स्वयंसेवा और परोपकार से बेहतर है सेवा और इसे (सेवा को) दुनिया के प्रमुख धर्मों में परिभाषित किया गया है।'
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यूनाइटेड कॉन्शियसनेस ग्लोबल के संयोजक विक्रांत तोमर ने कहा कि जी-20 की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकम' थी, जिसका अर्थ है कि इस ग्रह का प्रत्येक प्राणी एक आवश्यक परिवार है।
सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस के कार्यकारी अध्यक्ष दुर्गानंद झा ने संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) द्वारा 'मानवाधिकार' की अवधारणा पर फिर से विचार करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों को किसी भी देश के खिलाफ रणनीतिक साधन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।