चारा घोटाले में लालू यादव समेत 15 दोषी करार, जगन्नाथ मिश्र सहित 7 बरी
देश के बहुचर्चित चारा घोटाले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडीचीफ लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिये गये। सजा का ऐलान 3 जनवरी को होगा। जगन्नाथ मिश्र सहित 7 को बरी कर दिया गया है। 1996 में उजागर हुए इस घोटाले ने बिहार और देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया था।
रांची: लगभग दो दशक पहले देश की सियासत को हिला कर रख देने वाले बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में रांची की सीबीआई अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को दोषी करार दे दिया है। लालू की सजा का ऐलान 3 जनवरी को होगा। चारा घोटाले में मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इस मामले कुल 22 आरोपी शामिल हैं।
चारा घोटाले में दोषी करार दिये गये लालू यादव समेत सभी 15 लोगों को 3 जनवरी को सजा का ऐलान किया जायेगा।
चारा घोटाले में लालू यादव के खिलाफ 6 अलग-अलग मामले दर्ज है, जिनमे से एक मामले में पहले ही फैसला आ चुका है। आज के मामले के अलावा 4 अन्य मामलों में फैसले आने बाकी है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 13 दिसंबर को चारा घोटाला मामले में सुनवाई पूरी की। जिसके बाद आज अंतिम फैसले की तारीख तय की गयी।
बेटे तेजस्वी यादव के साथ अदालत पहुंचे लालू
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फैसले के दिन लालू यादव आज सुबह ही रांची पहुंच गये थे। लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव के साथ अदालत पहुंचे। अदालत में सुनवाई के दौरान कोर्ट के बाहर लालू यादव के समर्थकों और आरजेडी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ रही। कोर्ट में सुनवाई के दौरान लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र के अलावा अन्य आरोपी भी उपस्थित रहे। अदालत में इस मामले पहले सुबह सुनवाई तय की गया थी, लेकिन जज शिवपाल सिंह के किसी अन्य मामले में व्यस्त होने के कारण इस मामले की सुनवाई दोपहर 3 बजे बाद रखी गयी।
950 करोड़ का घोटाला
गौरतलब है कि देश का यह बहुचर्चित चारा घोटाले जनवरी 1996 में उजागर हुआ था, जो 1990 के दौरान उस समय किया गया, जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे। इस घोटाले ने बिहार और देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया था। यह घोटाला करीब 950 करोड़ का था।
इस तरह उजागर हुआ चारा घोटाला
बिहार के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने जब 1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तरों जब छापेमारी की तो यह घोटाला उजागर हुआ। इस छापेमारी में कई ऐसे दस्तावेज मिले, जिनसे पता चला कि 1990 के दशक में ऐसी कंपनियों को सरकारी कोषागार से चारा आपूर्ति के नाम पर पैसे जारी किए गए, जो थी ही नहीं। फर्जीवाड़ा करके सरकारी राजस्व को जमकर लूटा गया था।
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2002 से चल रही सुनवाई
चारा घोटाला उजागर हेने के बाद मार्च 1996 में पटना हाई कोर्ट ने सीबीआई को इस मामले की जांच के आदेश दिये थे। हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दी थी। 1997 में सीबीआई ने लालू के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए बिहार के राज्यपाल से औपचारिक अनुरोध किया, जिसे हरी झंडी दी गयी। 2001 में बिहार से अलग होकर नया राज्य बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को झारखंड को ट्रांसफर कर दिया। 2002 से इस मामले में सुनवाई चल रही है।
44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट
2012 में चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सीबीआई कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा समेत 31 के खिलाफ बांका और भागलपुर कोषागार में हुई धोखाधड़ी मामले में आरोप तय किए। इस मामले में लालू यादव व जग्गनाथ के अलावा अन्य 22 लोगों के खिलाफ आरोप तय किये जा चुके है। आज इन सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत ने फैसला सुनाया।