CBSE Result: जानिये कैसे तय होगा CBSE 12वीं का रिजल्ट, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया यह फार्मूला

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के 12वीं कक्षा के रिजल्ट को लेकर सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को अपना वह फार्मूला बता दिया है, जिसके आधार पर रिजल्ट या मार्कशीट बनाई जायेगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

सरकार ने पेश किया इवैल्यूएशन क्राइटेरिया
सरकार ने पेश किया इवैल्यूएशन क्राइटेरिया


नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण के चलते इस बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद अब छात्र अपने रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। छात्र ये भी जानना चाहते हैं कि उनका परिणाम किस आधार पर तैयार किया जाएगा। सीबीएसई ने छात्रों के इवैल्यूएशन क्राइटेरिया तय करने के लिये 13-सदस्यीय कमेटी गठित की है। सरकार की ओर से बनी इस 13 सदस्यीय कमेटी के इवैल्यूएशन क्राइटेरिया को आज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया है।

सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 10वीं, 11वीं और 12वीं के प्री बोर्ड के रिजल्ट को 12वीं के फाइनल रिजल्ट का आधार बनाया जाएगा। सीबीएसई ने कहा कि जो बच्चे परीक्षा देना चाहते हैं, उनके लिए बाद में अलग से परीक्षा की व्यवस्था की जाएगी।

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सीबीएसई ने 12वीं के छात्रों की मार्केशीट तैयार करने के फार्मूले को बताते हुए कहा कि मार्कशीट तैयार करने के लिये 10वीं के 5 विषय में से 3 विषय के सबसे अच्छे मार्क्स लिये जाएंगे, इसी तरह 11वीं के पांचों विषय का एवरेज लिया जाएगा और 12वीं के प्री-बोर्ड एग्जाम और प्रेक्टिकल का नंबर लिया जाएगा।

सबीएसई द्वारा इवैल्यूएशन क्राइटेरिया के लिये जो फार्मूला पेश किया गया है, उसके अनुसार छात्रों के 10वीं के नंबर का 30 पर्सेंट, 11वीं के नंबर का 30 परसेंट और 12वीं प्री बोर्ड के नंबर के 40 पर्सेंट के आधार पर अंतिम नतीजे जारी किये जाएंगे। यानी 10वीं और 11वीं कक्षा के फाइनल रिजल्ट को 30% वेटेज दिया जाएगा और 12वीं कक्षा के प्री बोर्ड एग्जाम को 40% वेटेज दिया जाएगा।

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सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि परीक्षा परिणाम समिति ने परीक्षा की विश्वसनीयता के आधार पर वेटेज पर फैसला किया है, स्कूलों की नीति प्रीबोर्ड में ज्यादा अंक देने की है, ऐसे में सीबीएसई के हजारों स्कूलों में से प्रत्येक के लिए परिणाम समिति गठित होगी, स्कूल के दो वरिष्ठतम शिक्षक और पड़ोसी स्कूल के शिक्षक "मॉडरेशन कमेटी" के रूप में कार्य करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्कूल ने अंकों को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया है, यह कमेटी छात्रों के पिछले तीन वर्षों के प्रदर्शन को आंकेगी।










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