वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव से होगा भारत को लाभ, पढ़िये ये ताजा सर्वेक्षण
वैश्विक स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव से भारत जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा। विश्व आर्थिक मंच के अर्थशास्त्रियों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण में यह कहा गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: वैश्विक स्तर पर आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव से भारत जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा। विश्व आर्थिक मंच के अर्थशास्त्रियों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण में यह कहा गया है।
वहीं दुनिया भर के अर्थशास्त्रियों के वैश्विक अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को लेकर अलग-अलग विचार हैं। जहां कुछ अर्थशास्त्री यह मान रहे हैं कि वैश्विक स्तर पर मंदी इस साल आने की आशंका है, वहीं कुछ इससे सहमत नहीं है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) से जुड़े मुख्य अर्थशास्त्रियों की राय के आधार पर तैयार परिदृश्य में डब्ल्यूईएफ ने कहा कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति की स्थिति विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से अलग-अलग होगी।
आर्थिक नीति के मोर्चे पर 72 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले तीन साल में विभिन्न देशों में सक्रियता के साथ औद्योगिक नीति को लागू करने का चलन बढ़ेगा।
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को यह नहीं लगता कि हाल में वित्तीय क्षेत्र में जो संकट आया है, उससे व्यवस्था के स्तर पर कोई बड़ी समस्या है। हालंकि इस साल बैंकों के विफल होने के मामले और समस्याएं सामने आ सकती हैं।
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विश्व आथिक मंच के परिदृश्य के अनुसार एशिया में आर्थिक गतिविधियां तेज रह सकती हैं। चीन में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को फिर से खोले जाने से वहां गतिविधियां बढ़ेंगी जिसका सकारात्मक असर पूरे महाद्वीप पर देखने को मिलेगा।
इस साल मार्च-अप्रैल में किये गये सर्वेक्षण में 90 प्रतिशत से अधिक मुख्य अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पूर्वी एशिया, प्रशांत तथा दक्षिण एशिया में कम-से-कम हल्की ही सही वृद्धि जरूर होगी।
दूसरी तरफ तीन चौथाई अर्थशास्त्रियों ने यूरोप में आर्थिक वृद्धि के सुस्त होने का अंदेशा जताया है। अमेरिका को लेकर अर्थशास्त्री जनवरी के मुकाबले मार्च-अप्रैल में ज्यादा आशावादी दिखें। लेकिन परिदृश्य को लेकर अभी भी वे विभाजित हैं। अमेरिकी में वृद्धि की संभावना पर वित्तीय स्थिरता के स्तर पर जोखिम और कड़ी मौद्रिक नीति का असर देखने को मिल सकता है।
तिमाही सर्वेक्षण के अनुसार आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव से जो क्षेत्र सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे, उसमें दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र, लातित अमेरिका, कैरेबियाई देश तथा अमेरिका शामिल हैं।
वहीं देशों के स्तर पर, इससे वियतनाम, भारत, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मेक्सिको, तुर्की और पोलैंड जैसे देशों को ज्यादा लाभ होगा।
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सर्वेक्षण के अनुसार सेमीकंडक्टर, हरित ऊर्जा, वाहन, औषधि, खाद्य, ऊर्जा तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मुख्य रूप से आपूर्ति व्यवस्था में बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा, ‘‘आर्थिक परिदृश्य का ताजा संस्करण वर्तमान आर्थिक वृद्धि की अनिश्चितता को बताता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘श्रम बाजार फिलहाल मजबूत साबित हो रहा है, लेकिन वृद्धि सुस्त बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है और कई देशों में रहन-सहन की लागत ऊंची बनी हुई है।’’
जाहिदी ने कहा, ‘‘ यह स्थिति अल्पकालिक स्तर पर वैश्विक नीति के मामले में समन्वय के साथ-साथ दीर्घकालिक सहयोग की जरूरत को बताती है।’’