रासायनिक रूप से संशोधित नैनोशीट जैव चिकित्सा में इस्तेमाल में प्रभावी: आईआईएससी के अनुसंधानकर्ता
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अनुसंधानकर्ता ने दिखाया है कि द्वि-आयामी ‘मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड (2डी-एमओएस2) नैनोशीट की सतह में संशोधन उन्हें रोगग्रस्त कोशिकाओं तक दवा पहुंचाने जैसे कार्यों में इस्तेमाल के लिए अत्यधिक प्रभावी बना सकता है।
बेंगलुरु: भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के अनुसंधानकर्ता ने दिखाया है कि द्वि-आयामी ‘मोलिब्डेनम डाइसल्फाइड (2डी-एमओएस2) नैनोशीट की सतह में संशोधन उन्हें रोगग्रस्त कोशिकाओं तक दवा पहुंचाने जैसे कार्यों में इस्तेमाल के लिए अत्यधिक प्रभावी बना सकता है।
नैनो सामग्री की दक्षता में सुधार के लिए उन्हें उनके इस्तेमाल के हिसाब से आम तौर पर संशोधित करने या उस अनुसार ढालने की आवश्यकता होती है।
उन्हें आमतौर पर लिगैंड (छोटे या बड़े अणुओं) को नैनो सामग्री की सतह से जोड़ने की प्रक्रिया के माध्यम से रासायनिक रूप से संशोधित किया जाता है।
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एक नए अध्ययन के तहत आईआईएस के कार्बनिक रसायन (ओसी) विभाग एवं सामग्री अनुसंधान केंद्र (एमआरसी) के शोधकर्ताओं ने 2डी-एमओएस2 नैनोशीट की सतह को थिओल (सल्फर युक्त) लिगैंड के साथ संशोधित किया।
इस अध्ययन को वैज्ञानिक पत्रिका ‘एसीएस नैनो’ में प्रकाशित किया गया।
ओसी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मृणमय डे ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन बताता है कि 2डी-एमओएस2 पर थिओल का इस्तेमाल प्रभावी है और नैनो सामग्री विभिन्न जैव अणुओं की मौजूदगी में स्थिर रहती है। यह एक अहम बात है, क्योंकि इससे यह नैनो सामग्री शरीर में दवा पहुंचाने जैसे कार्यों में जैव चिकित्सा के इस्तेमाल के लिए अत्यंत लाभकारी हो जाती है।’’
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