पुणे में पेड़ों की कटाई के खिलाफ ‘चिपको’ आंदोलन, कार्यकर्ताओं बनाई मानव श्रृंखला, जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के पुणे में नदी किनारे विकासात्मक कार्यों संबंधी महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई किए जाने के विरोध में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मुथा नदी के किनारे ‘चलो चिपको’ आंदोलन किया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पेड़ों की कटाई का विरोध
पेड़ों की कटाई का विरोध


पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में नदी किनारे विकासात्मक कार्यों संबंधी महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई किए जाने के विरोध में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मुथा नदी के किनारे ‘चलो चिपको’ आंदोलन किया।

प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को यह आंदोलन किया। उन्होंने पेड़ काटे जाने के विरोध में तख्तियां पकड़ीं, ‘नदी, पेड़ और शहर बचाओ’ के नारे लगाए और नदी किनारे लगे पेड़ों से चिपककर एक मानव श्रृंखला बनाई।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इस परियोजना के तहत मुला नदी के 22.2 किलोमीटर, मुथा नदी के 10.4 किलोमीटर और मुला-मुथा नदी के 11.8 किलोमीटर तट समेत कुल 44 किलोमीटर के हिस्से के विकास की परिकल्पना की गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2022 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी।

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कार्यकर्ताओं ने पुणे नगर निगम (पीएमसी) पर नदी कायाकल्प परियोजना के नाम पर ‘बंड गार्डन’ के निकट नदी किनारे प्राकृतिक हरियाली को नष्ट करने का आरोप लगाया।

उन्होंने आरोप लगाया कि नदी किनारे के किलोमीटर तक फैले कुछ दुर्लभ और पुराने पेड़ों सहित हजारों पेड़ों को काटा जा रहा है।

इस बीच, पीएमसी ने इन दावों का खंडन किया और कहा कि काटे जाने वाले पेड़ों में कोई पुराना और दुर्लभ पेड़ नहीं है।

उसने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘नदी के कायाकल्प के लिए कुछ पेड़ों को काटना आवश्यक है और उनके स्थान पर 65,000 से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे।’’

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कार्यकर्ता सारंग यादवाडकर ने कहा, ‘‘पर्यावरण मंजूरी इस शर्त पर दी गई थी कि एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा, लेकिन पीएमसी ने बिना किसी अनुमति के पहले ही पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है।’’

पीएमसी के पर्यावरण अधिकारी मंगेश दिघे ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य नदी के दोनों किनारों को बाढ़ से बचाना है और शहर के बीचों बीच हरित पट्टी बनाने के लिए पेड़ लगाए जाएंगे।










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