बिहार के इस जिले में विकसित किया जाएगा ‘शहर जैवविविधता सूचकांक’, जानिये इसकी खास बातें

डीएन ब्यूरो

बिहार सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक भागलपुर के लिए ‘शहर जैवविविधता सूचकांक’ (सीबीआई) विकसित करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

शहर जैवविविधता सूचकांक
शहर जैवविविधता सूचकांक


पटना: बिहार सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक भागलपुर के लिए ‘शहर जैवविविधता सूचकांक’ (सीबीआई) विकसित करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस सूचकांक को ‘सिंगापुर इंडेक्स’ भी कहा जाता है।

ऐसा हो जाने के बाद भागलपुर बिहार का पहला ऐसा शहर होगा जिसका जैव विविधता सूचकांक होगा।

अधिकारी ने बताया कि बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड (बीएसबीबी) ने 11 अगस्त को हुई अपनी बोर्ड बैठक में समृद्ध जैव विविधता के कारण भागलपुर के लिए शहरी जैव विविधता सूचकांक विकसित करने संबंधी एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सीबीआई एक अनूठा सूचकांक है जिसे विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता की निगरानी और आकलन के लिए बनाया गया है। इसमें 23 विभिन्न जैव विविधता संकेतक शामिल हैं, जैसे वर्तमान संरक्षण पहल, सरकारी समर्थन और जैव विविधता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू की गई योजनाएं। सूचकांक के 23 संकेतकों के लिए कुल 92 अंक आवंटित किए गए हैं।

बीएसबीबी सचिव के. गणेश कुमार ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भागलपुर राज्य का पहला और देश का 16वां शहर होगा, जिसका इस वित्त वर्ष के अंत तक अपना सीबीआई होगा। बीएसबीबी ने अपनी हालिया बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सीबीआई जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के संवर्द्धन और संरक्षण के संबंध में शहर के प्रदर्शन की निगरानी और आकलन करने का एक साधन है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत में बहुत कम शहरों ने सीबीआई विकसित किया है और अब तक केवल 15 शहरों में ही सीबीआई विकसित किया गया है।’’

बीएसबीबी सचिव ने कहा, ‘‘सीबीआई बनने से भागलपुर भारत के अग्रणी शहरों में से एक होगा और इसे वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया जाएगा, क्योंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सूचकांक है।'

उन्होंने कहा कि सीबीआई विकसित किए जाने से ‘क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज असेसमेंट फ्रेमवर्क’ में भागलपुर के अंक में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी। बीएसएसबी सचिव ने कहा, 'इसके परिणामों से भागलपुर को स्थानीय जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, शासन और जैव विविधता के प्रबंधन में सुधार करने में भी मदद मिलेगी। इससे शहरी सेवाओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी और शहर में जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होगा।'

उन्होंने कहा कि भागलपुर का कदवा दियारा बाढ़ क्षेत्र असम और कंबोडिया के बाद दुनिया में सारस, जिसे स्थानीय तौर पर 'गरुड़' के नाम से जाना जाता है, का तीसरा सबसे लोकप्रिय प्रजनन केंद्र है।

गणेश ने कहा, 'हम गरुड़ पर एक वृत्तचित्र बनाने की भी तैयारी कर रहे हैं, जिसमें प्रजातियों की रक्षा में स्थानीय समुदायों की भूमिका पर विशेष जोर दिया जाएगा। कदवा, प्रसादनगर, काहिरपुर, आश्रमटोला, बद्रीटोला, बोरवाटोला, पंचगछिया पंचायत और भागलपुर जिले के आसपास के अन्य गांवों के समुदायों को इस वृत्तचित्र के तहत कवर किया जाएगा।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘भागलपुर शहर की समृद्ध जैव विविधता जैसे गरुड़, विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य, एन्थेरिया पफिया रेशमकीट के कोकून से बने भागलपुरी रेशम, भौगोलिक संकेत (जीआई)-टैग वाले 'कतरनी चावल' और जरदालू आम आदि सीबीआई संबंधी निर्णय के लिए पर्याप्त आधार थे।'

बीएसबीबी सचिव ने कहा कि शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर संकलित जानकारी के अनुसार, विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य क्षेत्र में लगभग 198 एविफुना प्रजातियां दर्ज हैं।

उन्होंने कहा कि इन दर्ज प्रजातियों में से कई खतरे में हैं या खतरे के करीब हैं।

गणेश ने कहा कि इस क्षेत्र में देखे जाने वाले महत्वपूर्ण जलपक्षियों में फाल्केटेड बत्तख और कई अन्य शामिल हैं।










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