स्वच्छ भारत मिशन का 'गंदा सच' !
पीएम नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को ‘गंदा’ भारत मिशन बनाने में जनप्रतिनिधि ही डटे हुए हैं. मध्यप्रदेश के जिलों में 90 फीसदी से ज्यादा ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिनके घरों में शौचालय ही नहीं है ।
मध्यप्रदेश: स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक सर्वे रिपोर्ट सामने आयी है।दरअसल शहडोल जिले के गोहपारू जनपद में स्वच्छ भारत मिशन ने जनप्रतिनिधियों के आवासों पर एक सर्वे कराया. जिसमें इस बात की पड़ताल की गई कि आखिर कितने जनप्रतिनिधि हैं, जो शौचालय का उपयोग नहीं कर रहे हैं. जनपद की सहायता से किये गए इस सर्वे में चौकाने वाले आंकड़े सामने आये।
बता दें की इस सर्वे में पंच, उपसरपंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत के सदस्य शामिल हैं ।
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90 फीसदी ऐसे जनप्रतिनिधि मिले जिनके घर शौचालय नहीं बने या फिर जिनके यहां बने भी हैं तो वो अनुपयोगी हैं। शौचालय घर में बने होने के बाद भी वह बाहर लोटा लेकर ही जाते हैं। यह आंकड़े सरकारी तंत्र की ओर से ही मैदानी स्तर से जुटाये गये हैं। महज 10 फीसदी ही ऐसे जनप्रतिनिधि हैं जो शौचालय का नियमित उपयोग कर रहे हैं।
इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा चौकाने वाले जो तथ्य सामने आये हैं, उसमें ऐसी कई महिला सरपंच हैं जिन्होंने अपने घरों में आज तक शौचालय का निर्माण नहीं कराया है। महिला सरपंचों समेत सभी परिजन लोटा लेकर खुले में शौच जाते हैं। यही हाल अन्य महिला जनप्रतिनिधियों का है, जो खुद समाज के भीतर स्वच्छ भारत मिशन की बखिया उधेड़ रहीं हैं।
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स्वच्छ भारत को एक मिशन बनाने के लिए प्रदेश सरकार हर संभव प्रयास करने में जुटी है, वहीं मैदानी स्तर के जनप्रतिनिधियों की यह उदासीनता स्वच्छ भारत मिशन के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है ।
प्रशासन के आला अफसर सुर्खियां बटोरने के लिए कहीं सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाता है तो कहीं गरीबों को धमकाया जाता है कहीं राशन बंद होता है, लेकिन इन जनप्रतिनिधियों के लिए कहीं कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। जिस कारण स्वच्छ भारत मिशन को भी मैदानी स्तर पर कार्य करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।