कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्यों की सीमाएं बंद करना अनुचित: मायावती
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्यों की सीमाओं को बंद करने के प्रयासों को अनुचित बताते हुए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है। पढिये, पूरी खबर
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कोरोना महामारी के मद्देनजर राज्यों की सीमाओं को बंद करने के प्रयासों को अनुचित बताते हुए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है ।
3. साथ ही, कोराना के बढ़ते मरीजों व मौतों के मद्देनजर केन्द्र व देश के विभिन्न राज्यों के बीच तालमेल व सद्भावना के बजाय उनके बीच बढ़ता आरोप-प्रत्यारोप तथा राज्यों की आपसी सीमाओं को सील करना अनुचित व कोरोना के विरूद्ध संकल्प को कमजोर करने वाला। केन्द्र का प्रभावी हस्तक्षेप जरूरी।
— Mayawati (@Mayawati) June 2, 2020
मायावती ने मंगलवार को एक ट्वीट श्रंखला में कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्यों के बीच सद्भावना और सहयोग की जरूरत है। इसके लिए सीमाएं बंद नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ।
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1.जार्ज फ्लायड की पुलिस के हांथों मौत के बाद ’अश्वेतों की जिन्दगी की भी कीमत है’ को लेकर अमेरिका में हर जगह व विश्व के बड़े शहरों में भी इसके समर्थन में जो आन्दोलन हो रहा है उसका पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश है कि आदमी के जीवन की कीमत है व इसको सस्ती समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।
— Mayawati (@Mayawati) June 2, 2020
सुश्री मायावती ने कहा, "कोराेना के बढ़ते मरीजों और मौतों के मद्देनजर केन्द्र तथा देश के विभिन्न राज्यों के बीच तालमेल एवं सद्भावना के बजाय उनके बीच बढ़ता आरोप-प्रत्यारोप तथा राज्यों की आपसी सीमाओं को बंद करना अनुचित और कोरोना के विरूद्ध संकल्प को कमजोर करने वाला है। इसमें केन्द्र का प्रभावी हस्तक्षेप जरूरी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए राज्य की सीमा बंद करने के निर्देश दिए हैं । केजरीवाल के इस निर्णय पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं । खासकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जुड़े राजनेताओं ने इसकी कड़ी आलोचना की है और कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है और इस पर सभी का हक समान है ।
मायावती ने अमेरिका में जारी रंगभेदीय दंगों के संदर्भ में कहा कि जार्ज फ्लायड की पुलिस के हांथों मौत के बाद ’अश्वेतों की जिन्दगी की भी कीमत है’ को लेकर अमेरिका में हर जगह और विश्व के बड़े शहरों में भी इसके समर्थन में जो आन्दोलन हो रहा है, उसका पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश है कि आदमी के जीवन की कीमत है एवं इसको सस्ती समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।
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उन्होंने कहा, " और खासकर अपने भारत का अनुपम संविधान तो प्रत्येक व्यक्ति की स्वतंत्रता, सुरक्षा और उसके आत्म-सम्मान तथा स्वाभिमान के साथ जीने की जबर्दस्त मानवीय गारंटी देता है जिसपर सरकारों को सर्वाधिक ध्यान देना चाहिए। अगर ऐसा होता तो करोड़ों प्रवासी श्रमिकों को आज इतने बुरे दिन नहीं देखने पडते। "
सुश्री मायावती हाल के दिनों में प्रवासी मजदूरों के अधिकारों को लेकर मुखर रही है और इस संबंध में अपनाई जा रही केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों की कड़ी आलोचना करती रही है।(वार्ता)