डब्ल्यूएफआई निलंबन पर बोले कोच महावीर फोगाट, मंत्रालय का बहुत बढ़िया फैसला

डीएन ब्यूरो

पिछले 11 महीनों से विवादों से घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की नवनिर्वाचित संस्था को खेल मंत्रालय द्वारा निलंबित किये जाने के बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता महावीर फोगाट ने कहा कि यह बहुत बढ़िया फैसला है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मंत्रालय का बहुत बढ़िया फैसला
मंत्रालय का बहुत बढ़िया फैसला


भिवानी: पिछले 11 महीनों से विवादों से घिरे भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की नवनिर्वाचित संस्था को खेल मंत्रालय द्वारा निलंबित किये जाने के बाद द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता महावीर फोगाट ने कहा कि यह बहुत बढ़िया फैसला है।

महिला पहलवान गीता और बबीता के पिता फोगाट ने कहा, ‘‘खेल मंत्रालय का यह फैसला बहुत बढ़िया है। इससे खिलाडिय़ों का हौसला बढ़ेगा। चुनाव से पहले ही दिख रहा था कि ये होगा और हुआ भी वही, लेकिन अब सरकार ने जो फैसला लिया है, वो बिल्कुल ठीक है। ’’

उनका यह भी कहना है कि सभी कुश्ती राज्य संघों को भी भंग कर देना चाहिए और नये सिरे से संघ बनाकर फिर से चुनाव कराये जाने चाहिए।

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फोगाट ने कहा, ‘‘मंत्रालय को सभी राज्य की संस्थाओं को भी भंग कर देना चाहिए और नए सिरे से संघ बनाकर फिर से चुनाव कराए जायें क्योंकि हरियाणा-पंजाब में इनके (बृजभूषण शरण सिंह) आदमियों के वोट हैं तो ऐसे में निष्पक्ष चुनाव कैसे होंगे। ’’

उन्होंने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह बाहुबली है और किसी को भी खरीद सकता है।

फोगाट ने कहा, ‘‘उसने (बृजभूषण शरण सिंह) खिलाड़ियों के आंदोलन को ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को आपस में ही तोडऩे का काम किया। आहत होकर साक्षी मलिक ने कुश्ती छोडऩे का फैसला किया और बजरंग पूनिया को पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की नौबत आई। लेकिन सरकार ने समय रहते अच्छा फैसला लिया है। इसके लिए सरकार का धन्यवाद करते हैं। ’’

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वह पहलवानों के आंदोलन के समय से ही डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर निशाना साधते रहे हैं।

फोगाट ने यहां तक कहा कि कुश्ती ही नहीं बल्कि सभी खेल महासंघों को खेल मंत्रालय को अपने अंतर्गत ले लेना चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘मैं तो ये भी कहना चाहूंगा कि कुश्ती ही नहीं, बल्कि सभी महासंघों को खेल मंत्रालय को अपने अंतर्गत लेना चाहिए। ये हाल खाली कुश्ती महासंघ में ही नहीं, बल्कि सभी जगह है। खेल मंत्रालय इन्हें अपने अंतर्गत लेगा तो सुधार होगा। 










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