अमेरिकी प्रतिकारी शुल्क मामलों से निपटने में निर्यातकों की मदद करेगा वाणिज्य मंत्रालय
वाणिज्य मंत्रालय घरेलू उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिकारी शुल्क या सब्सिडी रोधी शुल्क से निपटने में निर्यातकों की मदद करने के लिए आगे आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: वाणिज्य मंत्रालय घरेलू उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिकारी शुल्क या सब्सिडी रोधी शुल्क से निपटने में निर्यातकों की मदद करने के लिए आगे आया है।
मंत्रालय ऐसे मामलों में उचित दस्तावेज तैयार करने के लिए भारतीय निर्यातकों की मदद करेगा।
इस कवायद के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीटीआर) और व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) के दल भारतीय निर्यातकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
प्रतिकारी शुल्क (सीवीडी) या सब्सिडी रोधी शुल्क लगाने से पहले कोई भी देश उन उत्पादों की विस्तृत जांच करता है, जिनके बारे में उसका मानना है कि निर्यात उद्देश्यों के लिए भारी सब्सिडी दी जा रही है। निर्यात पर सब्सिडी देना एक तरह का अनुचित व्यापार व्यवहार है।
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प्रतिकारी शुल्क तभी लगाया जा सकता है, जब आयात करने वाले देश की जांच एजेंसी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उत्पाद के आयात पर सब्सिडी दी जा रही है और घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है।
अमेरिका ने अपनी प्रतिकारी जांच में तीन भारतीय उत्पादों - पेपर फाइल फोल्डर, सामान्य मिश्र धातु एल्युमीनियम शीट और इस्पात के जालीदार ब्लॉक पर अंतिम निर्धारण प्रस्तुत किया है।
यूरोपीय आयोग ने भी भारत के कुछ ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड प्रणाली उत्पादों पर इसी तरह की जांच की है।
एक अधिकारी ने कहा कि भारत सरकार और प्रभावित निर्यातकों ने जांच के दौरान सब्सिडी के आरोप का दृढ़ता से बचाव किया है।
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उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जिन उत्पादों की जांच की है, उनमें बिजली शुल्क, ईंधन पर वैट या एपीएमसी करों जैसे लेवी की प्रतिपूर्ति शामिल है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि अमेरिकी जांच अधिकारियों को संतुष्ट करने की जरूरत है और इस मुद्दे पर डीजीएफटी ने हाल ही में डीजीटीआर के साथ बैठक की है।