कांग्रेस ने नीतीश की तुलना गिरगिट से की, बताया विश्वासघात में माहिर

डीएन ब्यूरो

नीतीश कुमार के रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने उनकी तुलना ‘‘गिरगिट’’ से की और कहा कि राज्य के लोग ‘‘धोखा देने के इस विशेषज्ञ’’ और उन्हें अपने इशारों पर नचा रहे लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे


नयी दिल्ली:  नीतीश कुमार के रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने उनकी तुलना ‘‘गिरगिट’’ से की और कहा कि राज्य के लोग ‘‘धोखा देने के इस विशेषज्ञ’’ और उन्हें अपने इशारों पर नचा रहे लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल राजेन्द्र वी आर्लेकर को रविवार सुबह अपना इस्तीफा सौंप दिया। वह राज्य में ‘महागठबंधन’ से अलग हो गए। कुमार के इस कदम से ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) को भी बड़ा झटका लगा है।

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नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़कर अगस्त 2022 में ‘महागठबंधन’ में शामिल हुए थे। तब उन्होंने भाजपा पर जद(यू) (जनता दल-यूनाइटेड) को ‘विभाजित’ करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। उन्होंने बहुदलीय गठबंधन के साथ नयी सरकार बनाई थी जिसमें राजद (राष्ट्रीय जनता दल), कांग्रेस और तीन वामपंथी दल शामिल थे।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वह महागठबंधन छोड़ने के कुमार के फैसले के बारे में पहले से जानते थे लेकिन उन्होंने ‘इंडिया’ को बरकरार रखने के लिए कुछ नहीं कहा।

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘देश में 'आया राम-गया राम' जैसे कई लोग हैं। पहले वे और हम मिलकर लड़ रहे थे। जब मैंने लालू (प्रसाद) जी और तेजस्वी (यादव) जी से बात की तो उन्होंने भी कहा कि नीतीश जा रहे हैं।’’

बार-बार पार्टी बदलने के संदर्भ में ‘आया राम गया राम’ जुमले का 1990 के दशक में राजनीति में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया था।

उन्होंने कहा कि यदि कुमार रुकना चाहते तो वह रुक सकते थे लेकिन वह जाना ही चाहते थे।

खरगे ने कहा, ‘‘इसलिए यह बात हमें पहले से ही पता थी, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन को बरकरार रखने के लिए हमने कुछ नहीं कहा। अगर हम कुछ गलत कहते तो बाहर गलत संदेश जाता। इसकी जानकारी हमें लालू प्रसाद यादव जी और तेजस्वी यादव जी ने पहले ही दे दी थी। आज यह सच हो गया।’’

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नीतीश कुमार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह साफ है कि ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से ध्यान भटकाने के लिए यह ‘‘राजनीतिक नाटक’’ किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जल्द ही बिहार में प्रवेश करने वाली राहुल गांधी की यात्रा से ‘‘घबराए हुए’’ हैं।

रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ‘‘विश्वासघात विशेषज्ञ’’ और उन्हें इशारों पर नचाने वालों को माफ नहीं करेगी।

रमेश ने कहा, ‘‘बिल्कुल साफ है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा से प्रधानमंत्री और भाजपा घबराए हुए हैं और उससे ध्यान हटाने के लिए यह राजनीतिक नाटक रचा गया है।’’

रमेश ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन मजबूत है।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां-वहां कुछ गति-अवरोधक हैं, लेकिन हम एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे । द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कषगम), राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी), टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) और सपा (समाजवादी पार्टी) जैसे सभी दल साथ मिलकर लड़ेंगे।’’

रमेश ने उन दावों को खारिज कर दिया कि कुमार के बाहर निकलने से विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे गठबंधन केवल मजबूत होगा, जैसा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी कहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बिहार के लोग चुनाव में नीतीश कुमार और भाजपा को उचित सबक सिखाएंगे...यह एक वैचारिक लड़ाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिनों तक सुर्खियों में रहने के अलावा इसका कोई असर नहीं होगा।’’

‘इंडिया’ के गठन में कुमार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए रमेश ने पिछले वर्ष 23 जून को कुमार द्वारा बुलाई गई 18 विपक्षी दलों की बैठक का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यात्रा 23 जून को पटना से शुरू हुई थी और जिस व्यक्ति ने इस यात्रा को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसने ही धोखा दे दिया। हमें नहीं पता कि उनकी राजनीतिक मजबूरियां क्या थीं, लेकिन बिहार के लोग उन्हें और भाजपा को करारा जवाब देंगे।’’

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रमेश ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि वह समय-समय पर राजनीतिक रंग बदलते रहे हैं और रंग बदलने में तो वह गिरगिटों को भी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। बिहार की जनता उन्हें और उनके इस कदम के लिए जिम्मेदार दिल्ली में बैठे लोगों को करारा जवाब देगी।’’

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बार-बार पाला बदलने और नए गठबंधनों के साथ सरकार बनाने को लेकर कुमार पर कटाक्ष करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जद (यू) नेता एक नया रिकॉर्ड बना रहे हैं और वह ‘‘नौवीं बार मुख्यमंत्री बन रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपको (भाजपा को) 400 (लोकसभा) सीट जीतने का भरोसा है तो आपको ये सब क्यों करना पड़ा। इससे पता चलता है कि आप सच्चाई जानते हैं और इसीलिए आप ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं।’’

खेड़ा ने कहा कि यह भाजपा पर यात्रा का असर है। यात्रा जहां भी जा रही है, इसका असर वहां हो रहा है। असम में, मुख्यमंत्री यात्रा की सेवा के लिए आए और हमारे प्रचार मंत्री बन गये। जब यात्रा बिहार में प्रवेश कर रही है तो बिहार में यह सब हो रहा है और जब यात्रा शुरू हुई तो मुंबई में हमारे नेता का दल बदलवा दिया गया।

खेड़ा ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के निर्देश पर राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने, बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम और कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा के भाजपा में शामिल होने का जिक्र करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और उसकी घबराहट साफ नजर आ रही है।

खेड़ा ने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जिन लोगों ने 400 से अधिक (सीट) का नारा दिया, वे देश में सच्चाई जानते हैं। जैसा कि हमारे (कांग्रेस) अध्यक्ष ने कहा है कि जो लोग (पार्टी छोड़कर) जाते हैं, उनकी दो मजबूरियां होती हैं, या तो ईडी या सीडी। नीतीश कुमार के जाने का क्या कारण है?’’

खेड़ा ने कटाक्ष करते हुए कहा कि लोगों को कुमार से पाला बदलने की कला सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘इंडिया’ गुट को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं...और इस संबंध में प्रयास जारी रहेंगे।’’

कुमार ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्हें ‘इंडिया’ और ‘महागठबंधन’ में ‘‘स्थिति ठीक नहीं लग रही थी’’ इसलिए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ नया गठबंधन और नई सरकार बनाने का निर्णय लिया।

नीतीश 18 महीने पहले भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए थे।










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