महराजगंज के एएसपी आशुतोष शुक्ला पर सीएम ने गिरायी गाज, छीना गया जिले का चार्ज

शिवेन्द्र चतुर्वेदी/राहुल पांडेय

जिले के एक कुख्यात गुंडे को अपनी साजिश में लेकर डाइनामाइट न्यूज़ के खोजी पत्रकारों के खिलाफ निजी खुन्नस मिटाने के लिए दर्ज करायी गयी फर्जी FIR कांड के मुख्य सरगना और महराजगंज जिले के विवादित अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला पर मुख्यमंत्री ने अपनी गाज गिरायी है। पूरी खबर:

विवादित अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला
विवादित अपर पुलिस अधीक्षक आशुतोष शुक्ला


महराजगंज: अपने राजनीतिक आकाओं के दम पर लंबे समय से बड़े जिले का एएसपी बनने का ख्वाब पाले आशुतोष शुक्ला को सीएम से तगड़ा झटका दिया है। इनका तबादला जिले से बाहर ट्रैफिक विभाग की जिम्मेदारी संभालने के लिए कर दिया गया है। अब ये लाल बत्ती और हरी बत्ती के जाल में अपना समय काटेंगे।

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लखनऊ एटीएस में तैनात निवेश कटियार को महराजगंज जिले का नया अपर पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। 

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कुछ दिन पहले जिले के एक कुख्यात गुंडे और गैंगेस्टर को सामाजिक कार्यकर्ता बनाकर एएसपी ने एक तहरीर ली थी और उस पर एसपी से स्वयं को जांच अधिकारी बनवाकर खुद इस तहरीर की जांच की। बिना संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) घटित हुए, बिना पत्रकारों का बयान अंकित किये एएसपी ने एक तरफा जांच रिपोर्ट तैयार की। फिर पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर निजी खुन्नस मिटाने के लिए फर्जी एफआईआर दर्ज करा दी। जिस थाने में एफआईआर दर्ज हुई वहां के पुलिस कर्मियों ने एफआईआर दर्ज करने से मना किया लेकिन फिर भी एएसपी ने दवाब डाल फर्जी एफआईआर कांड को अंजाम दिया। 

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अपराधियों और पुलिस के बीच गठजोड़ के इस नायाब मामले में असली मोड़ तब आय़ा जब नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मानव अधिकार आय़ोग ने फर्जी FIR कांड के लिए यूपी सरकार के अफसरों को 5 जून को नोटिस जारी कर तलब कर लिया। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि अपने राजनीतिक आकाओं के दम पर गैरकानूनी कामों को अंजाम देने वाले एएसपी की छुट्टी तय है और पहली लिस्ट में ही उठाकर इन्हें यातायात का जिम्मा संभालने के लिए फेंक दिया गया। 

उठे सवाल 

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जिस अपराधी को सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में वादी बनाकर फर्जी एफआईआर दर्ज करायी गयी, वह कुख्यात गुंडा कुछ दिनों पहले ही गैंगेस्टर एक्ट में जमानत पर जेल से छूटा है। इस पर गैंगेस्टर के अलावा हत्या, रंगदारी, वसूली आदि के एक दर्जन से अधिक संगीन केस जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। युवा व्यापारी निक्कू जायसवाल की हत्या का मामला जिला न्यायालय में ट्रायल के अंतिम दौर में है। इसे दो-दो बार गुंडा एक्ट लगा जिला बदर किया जा चुका है। यह घुघुली थाने का हिस्ट्रीशीटर है। ऐसे अपराधी पर रासुका लगाकर, ईनामी अपराधी घोषित कर इसकी अवैध संपत्तियों की जब्ती जिस एसपी और एएसपी को करनी चाहिये, उन्होंने ही इसे सामाजिक कार्यकर्ता का तमगा अपनी जांच में दे दिया। जब यह मामला लखनऊ के सत्ता प्रतिष्ठान में पहुंचा तो उच्च अफसरों ने एसपी और एएसपी के खिलाफ अपराधी-पुलिस गठजोड़ की एक गोपनीय जांच शुरु करायी और पहली कड़ी में एएसपी का विकेट उखड़ गया है। इसके बाद से एएसपी के गुर्गों का होश उड़ा हुआ है। 

 


 










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