महराजगंज में भ्रष्ट चकबंदी अधिकारियों की अजब लीला, महीनों की हड़ताल के बाद काम का बना माहौल लेकिन अधिकारी फरार
चकबंदी विभाग के भ्रष्ट अफसर न तो डीएम अमरनाथ उपाध्याय की सुनने वाले हैं और न ही जनपद मुख्यालय के वकीलों की और न ही आम जनता की। चकबंदी विभाग के जिले में तैनात महाभ्रष्ट अफसरों की अलग ही लीला है। एक्सक्लूसिव खबर..
महराजगंज: जिले के चकबंदी विभाग में जबरदस्त भ्रष्टाचार फैला हुआ है। चकबंदी अधिकारी मनमानी पर उतारु हैं। महराजगंज जनपद मुख्यालय पर चकबंदी कार्यालयों की स्थापना की मांग को लेकर महीनों से जनपद मुख्यालय के सैकड़ों वकील और आम जनता, फरियादी आंदोलनरत थे। किसी तरह डीएम के आश्वासन पर वकील माने और हड़ताल समाप्त कर काम पर वापस लौटे।
डीएम की सोच के खिलाफ काम करने में जुटे
फिर क्या था.. चकबंदी विभाग के डकैत अधिकारी डीएम की सोच में पलीता लगाने में जुट गये और डीएम के खिलाफ मानो अघोषित मोर्चा खोल दिया। ये भ्रष्ट अफसर डीएम के विकास परक सोच में अड़ंगा डालने में जुट गये हैं। कई महीनों से कोई काम नही हो रहा है। महीनों हड़ताल के बाद जब काम शुरु हुआ तो चकबंदी अधिकारी (अंतिम अभिलेख) अखिलेश कुमार छुट्टी का बहाना बनाकर फरार।
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कई फरियादियों ने डाइनामाइट न्यूज़ से बताया कि वे भाजपा सरकार में चकबंदी विभाग के अफसरों की मनमानी से हैरान व परेशान हैं।
67 फरियादी हुए बेहाल
फरियादी जब तारीख पर पहुंचे तो पता लगा कि सीओ अखिलेश कुमार कार्यालय छोड़कर छुट्टी के नाम पर जिले से फरार हैं। 67 फरियादियों के केस शुक्रवार को लगे थे और पेशकार ने नोटिस चस्पा कर दिया कि आज की तारीख जिन केसों की था अब उन पर जनरल डेट लगा दी गयी है और अब वे केस सीधे 4 मई को देखे जायेंगे। अन्य केस पर पर 20 तारीख लगा दी गयी।
एक फरियादी ने बताया कि इसके पीछे इन भ्रष्ट अफसरों की मंशा है कि डीएम लाख चाह लें लेकिन ये काम फरेन्दा में ही करेंगे। शुक्रवार की छुट्टी के बाद अगले दो दिन शनिवार और रविवार की छुट्टी की मौज। इस तरह तख्वाह सरकार से और छुट्टी के नाम पर तीन से चार दिन की मौज।
रोजाना गोरखपुर से अप-डाउन करने की कुटिल मंशा
चकबंदी विभाग के सीओ और एसओसी ने उच्च अफसरों को साफ चुनौती दे डाली है.. नही करेंगे महराजगंज में काम। जब करेंगे तो सिर्फ फरेन्दा से।
चकबंदी विभाग के एसीओ, सीओ और एसओसी अपने भ्रष्टाचार को जारी रखने और रोजाना गोरखपुर से अप-डाउन करने की अपनी कुटिल मंशा के चलते चाहते हैं कि इनके कार्यालय महराजगंज की बजाय फरेन्दा में ही रहें। फरेन्दा में कार्यालय होने से इनके भ्रष्टाचार पर जिला मुख्यालय के अफसरों की निगाह जल्दी नही जायेगी और ये रोजाना 11 बजे आयेंगे और तीन बजे गोरखपुर फरार हो जायेंगे।
इन अफसरों के आतंक के शिकार हुए गरीब फरियादी
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जिले के चारों तहसील के गरीब फरियादी चकबंदी अधिकारी अखिलेश कुमार, चकबंदी अधिकारी कौशलानंद यादव और एसओसी बीएन उपाध्याय के आतंक से बेहाल हैं। इन भ्रष्टाचारियों को न तो डीएम का खौफ है और न ही कलेक्ट्रेट के वकीलों का।
भ्रष्ट अफसरों का सरगना बना पेशकार
फरियादियों का आरोप है कि इन सब अफसरों का सरगना है सीओ अखिलेश कुमार का पेशकार अरविंद पांडेय। गोरखपुर से रोजाना अप-डाउन करने वाला यह भ्रष्ट कुछ महीने पहले ही यह अपने काले-कारनामों के चलते निलंबित हुआ था और जरा इसकी सेटिंग तो देखिये चंद दिनों के भीतर न सिर्फ यह बहाल हुआ बल्कि मनचाही कमाऊ पोस्टिंग सीओ के पेशकार की कुर्सी पर अपनी वापसी करा ली।
क्या डीएम ले पायेंगे महराजगंज में काम?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिलाधिकारी बीएन उपाध्याय इन भ्रष्ट अफसरों से जनपद मुख्यालय पर काम करा पायेंगे? या फिर ये डीएम को सीधी चुनौती देते हुए तरह-तरह के बहाने बना जनपद मुख्यालय पर बैठेंगे ही नही?