अदालत ने सैन्य अधिकारी को दो करोड़ रुपये देने के आदेश की समीक्षा से इनकार किया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने तहलका डॉट कॉम की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 2001 में एक भारतीय सैन्य अधिकारी के मानहानि मामले में उन्हें दो करोड़ रुपये का भुगतान करने के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने तहलका डॉट कॉम की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 2001 में एक भारतीय सैन्य अधिकारी के मानहानि मामले में उन्हें दो करोड़ रुपये का भुगतान करने के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक समाचार पोर्टल ने सैन्य अधिकारी पर रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि समाचार पोर्टल के पत्रकार अनिरुद्ध बहल द्वारा दायर याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है, क्योंकि ‘‘रिकॉर्ड पर स्पष्ट रूप से कोई त्रुटि नहीं है‘‘ या ‘‘ऐसी गलती नहीं है, जिसे समीक्षा के दायरे में ठीक किया जा सकता है।’’
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अदालत ने इस महीने की शुरुआत में पारित एक आदेश में कहा, ‘‘समीक्षा याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।’’
तेरह मार्च 2001 को, समाचार पोर्टल ने नये रक्षा उपकरणों के आयात से संबंधित सौदों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एक समाचार प्रकाशित किया था।
मेजर जनरल एम.एस. अहलूवालिया ने मानहानि का मुकदमा दायर कर दावा किया था कि उन्हें ‘ऑपरेशन वेस्ट एंड’ संबंधी समाचार प्रकाशित कर बदनाम किया गया था, क्योंकि इसमें गलत आरोप लगाया गया था कि उन्होंने रिश्वत ली थी।
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न्यायमूर्ति कृष्णा ने 21 जुलाई को पोर्टल, उसके मालिक और दो पत्रकारों - बहल और मैथ्यू सैमुअल को वादी को दो करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
समीक्षा की मांग करते हुए, आवेदकों ने तर्क दिया कि फैसले में एक त्रुटि है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है क्योंकि समाचार में ‘‘तथ्यात्मक रूप से कुछ भी गलत नहीं था।’’