Crime in UP: लखीमपुर खीरी में नाबालिग बहनों से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आया कोर्ट का फैसला, दोषियों को मिली ये कठोर सजा
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की एक अदालत ने अनुसूचित जाति समुदाय की दो नाबालिग बहनों का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म करने और फिर हत्या के मामले में सोमवार को चार दोषियों को सजा सुनायी है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की एक अदालत ने अनुसूचित जाति समुदाय की दो नाबालिग बहनों का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म करने और फिर हत्या के मामले में सोमवार को चार दोषियों को सजा सुनायी है।
अदालत ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास और दो को छह-छह वर्ष की सजा सुनायी है।
विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो अधिनियम) बृजेश पांडेय ने बताया कि विशेष पॉक्सो अदालत के अपर सत्र व जिला न्यायाधीश राहुल सिंह की अदालत ने मामले में दो आरोपियों जुनैद और सुनील उर्फ छोटू को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही 46-46 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
इसके अलावा करीमुद्दीन और आरिफ को छह-छह वर्ष कैद की सजा सुनाने के साथ पांच-पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
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पांडेय ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि अदालत ने चारों आरोपियों को 11 अगस्त को दोषी करार देते हुए 14 अगस्त की तारीख सजा सुनाने के लिए तय की थी।
उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर, 2022 को निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव की दो दलित नाबालिग बहनों का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। दोनों किशोरियों के शव गांव के पास गन्ने के खेत के पास एक पेड़ पर लटके पाए गए थे।
लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष पॉक्सो अदालत के अपर सत्र एवं जिला न्यायाधीश राहुल सिंह ने मुख्य आरोपी जुनैद और सुनील उर्फ छोटू को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 376 डीए (16 साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक बलात्कार), 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए सजा), 452 (घर में घुसपैठ करना), धारा 34 (एक ही इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कृत्य), धारा 201 (सबूत गायब करना) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था।
उन्होंने कहा कि करीमुद्दीन और आरिफ नाम के दो अन्य आरोपियों को अदालत ने धारा 201 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत दोषी ठहराया था।
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उन्होंने बताया कि मामले में हत्या, बलात्कार एवं पॉक्सो अधिनियम तथा अनुसूचित जाति- जनजाति उत्पीड़न निवारण अधिनियम की कई अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जबकि मामले को सुलझाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
एसआईटी ने अपराध के सिलसिले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से दो नाबालिग पाए गए। एसआईटी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद 28 सितंबर 2022 को विशेष पॉक्सो अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था।