Assam: लखीमपुर में वन भूमि खाली कराने का अभियान जारी
असम के लखीमपुर जिले में ‘‘अवैध रूप से रह रहे लोगों’’ से 450 हेक्टेयर वन भूमि खाली कराने का अभियान मंगलवार को चलाया जा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
लखीमपुर: असम के लखीमपुर जिले में ‘‘अवैध रूप से रह रहे लोगों’’ से 450 हेक्टेयर वन भूमि खाली कराने का अभियान मंगलवार को चलाया जा रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि आरक्षित वन के 2,560.25 हेक्टेयर में से केवल 29 हेक्टेयर पर फिलहाल कोई कब्जा नहीं है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पावो आरक्षित वन के अधीन 450 हेक्टेयर भूमि को खाली कराने के अभियान से 500 से अधिक परिवार प्रभावित होंगे। मंगलवार को पहले चरण में 200 हेक्टेयर जमीन खाली कराने का लक्ष्य रखा गया है।
लखीमपुर की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूना नेओग ने बताया कि 60 से अधिक अधिकारी (जमीन खाली कराने का काम करने वाले), ट्रैक्टर और 600 सुरक्षाकर्मी सुबह से अभियान को अंजाम देने में जुटे हैं।
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निओग ने कहा, ‘‘ सुबह साढ़े सात बजे से अभियान शांतिपूर्वक चल रहा है और हमें अब तक किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा।’’
उन्होंने बताया कि सुरक्षा बल पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र की निगरानी कर रहे थे और ‘‘ अवैध रूप से रह रहे लोगों ’’ को अपने घरों को खाली करने को भी कहा गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोघुली गांव में 200 हेक्टेयर जमीन को मंगलवार को खाली कराया जाएगा, जिस पर करीब 299 मकान हैं। आधासोना गांव में 250 हेक्टेयर भूमि को आज रोशनी रहने तक या बुधवार को खाली कराया जाएगा। वहां करीब 200 परिवार रहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि प्रशासन के कई बार अधिसूचना जारी करने के बाद लगभग सभी लोग पहले ही अपने घर खाली कर चुके हैं। इनसे से अधिकतर बंगाली मुस्लिम हैं।
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इससे पहले ‘ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन’ (एएएमएसयू) के लखीमपुर जिला सचिव अनवारूल ने दावा किया था, ‘‘ इन क्षेत्रों के लोग दशकों से यहां रह रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) योजना के तहत घर बनाए गए, राज्य सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्र बनाए, बिजली कनेक्शन दिए गए और मनरेगा कार्यक्रम के तहत सड़कें सभी बनाई गईं।’’
उन्होंने सवाल किया था कि क्षेत्र में अवैध रूप से रहने वाले इन निवासियों को सरकारी योजनाओं के तहत लाभ कैसे दिए जा रहे हैं?
वहीं मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) अशोक कुमार देव चौधरी ने कहा कि पिछले तीन दशकों में 701 परिवारों ने पावा आरक्षित वन भूमि पर कब्जा कर लिया है।