‘आतंकवाद’, ‘ड्रग तस्करी’ के मामले से बचाने का झांसा देकर महिला से पांच लाख की साइबर ठगी

डीएन ब्यूरो

दक्षिण पश्चिम दिल्ली की 60 वर्षीय महिला से साइबर ठगों ने कथित रूप से पांच लाख रुपये की ठगी की। साइबर ठगों ने महिला पर खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों और मादक पदार्थ तस्करों से संबंध का आरोप लगाया था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

महिला से पांच लाख की साइबर ठगी
महिला से पांच लाख की साइबर ठगी


नयी दिल्ली: दक्षिण पश्चिम दिल्ली की 60 वर्षीय महिला से साइबर ठगों ने कथित रूप से पांच लाख रुपये की ठगी की। साइबर ठगों ने महिला पर खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों और मादक पदार्थ तस्करों से संबंध का आरोप लगाया था।

इस संबंध में 29 मई को दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, पीड़िता को एक व्यक्ति का फोन आया था जिसने खुद के एक बड़ी कूरियर कंपनी से जुड़े होने का दावा किया। व्यक्ति ने महिला को बताया कि उसने कनाडा के लिए कूरियर बुक किया था जिसमें कुछ समस्या आ रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि मैंने कोई कूरियर बुक नहीं किया है क्योंकि मैं कनाडा में किसी को नहीं जानती। इसके बाद उसने कहा कि निश्चित रूप से इसमें कुछ आतंकवादी साजिश है। उसने खासतौर पर खालिस्तानी शब्द इस्तेमाल किया था।’’

महिला ने कहा, ‘‘उसने मुझे तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए कहा और अंबोली पुलिस थाने (मुंबई) में किसी से संपर्क करने की पेशकश की।’’

इस पर महिला फोन करने वाले की मदद लेने के लिए सहमत हो गई और उसने सिब शेजोल नामक व्यक्ति से वीडियो कॉल के जरिए संपर्क कराया जिसने उसे आश्वस्त किया कि उसने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और मामला अपराध शाखा को भेज दिया गया है।

प्राथमिकी में कहा गया है कि शेजोल ने इसके बाद महिला की अपने एक वरिष्ठ से कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए बात कराई, जिसने शेजोल को महिला को तुरंत गिरफ्तार करने को कहा और महिला पर आतंकी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया।

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महिला ने जोर देकर कहा कि उसके खिलाफ सारे आरोप झूठे हैं।

पुलिस ने बताया कि शेजोल ने महिला से कहा कि मुंबई में उसके पैन और आधार नंबर के साथ उसके नाम पर एक खाता खुला है, लेकिन महिला ने इस आरोप से भी इनकार किया।

पूरी साजिश को अधिक संगीन बनाने के लिए शेजोल ने पीड़ित महिला से कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उसके मामले की जांच के लिए लोक अभियोजक निशांत सी. शुक्ला को नियुक्त किया है।

प्राथमिकी के अनुसार, ‘‘शेजोल ने इसके बाद महिला की शुक्ला से बात कराई जिसने उसका भरोसा हासिल करने के लिए अपना बार काउंसिल कार्ड दिखाया और तीन अन्य विशेष अधिकारियों की तस्वीरें और आधार कार्ड साझा करते हुए कहा कि उन्हें महिला और उसके परिवार की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया है क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता है।’’

शुक्ला ने इसके बाद महिला से कहा कि उन्हें पता चला है कि मामला किसी विपुल जैन से संबंधित है जो एक बैंककर्मी है और उसने 450 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है।

महिला ने कहा, ‘‘आरोपियों ने मुझे बताया कि जैन आतंकवाद और मादक पदार्थ से संबंधित मामले से जुड़ा है तथा मेरे जैसे 80 और लोग इस मामले में शामिल हैं। मुझ पर इस फर्जीवाड़े के जरिए कमीशन लेने का आरोप था।’’

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महिला ने बताया कि उसे जांच में शामिल होने के लिए मुंबई भी बुलाया गया। उसने कहा, ‘‘आरोपियों ने मामले से बचाने की पेशकश करते हुए कहा कि मेरी अंतरिम जमानत के लिए मुझे हलफनामा देना होगा जिसे मुंबई में 10 विभागों को भेजा जाएगा।’’

जब शिकायतकर्ता ने इससे इनकार किया तो आरोपी ने कहा कि उसे 10 विभागों में से प्रत्येक के लिए पांच-पांच हजार रुपये के तीन बांड पेपर खरीदने होंगे, जिसकी राशि 1.5 लाख रुपये है और दूसरा 45,780 रुपये नोटरी/शपथ पत्र/स्टांप ड्यूटी के लिए है, इस प्रकार कुल 1,95,780 रुपये देने होंगे।

महिला ने जब उक्त राशि का भुगतान कर दिया, तो उन्होंने कागजात टाइप करने के नाम पर और 1,08,000 रुपये की मांग की। जबरन वसूली यहीं नहीं रुकी और पीड़ित ने जालसाजों को कुल 4,99,560 रुपये का भुगतान कर दिया।

अंत में उसने पुलिस में शिकायत करने का फैसला किया।










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