निजी चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक को लेकर गतिरोध जारी
राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पारित हो जाने के बावजूद इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे निजी चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध बुधवार को भी जारी रहा, वहीं स्वास्थ्य मंत्री ने विधेयक को वापस लेने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
जयपुर: राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक मंगलवार को विधानसभा में पारित हो जाने के बावजूद इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे निजी चिकित्सकों और राज्य सरकार के बीच गतिरोध बुधवार को भी जारी रहा, वहीं स्वास्थ्य मंत्री ने विधेयक को वापस लेने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
सदन की प्रवर समिति की रिपोर्ट के अनुसार किए गए संशोधनों के साथ राजस्थान विधानसभा में राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक-2022 मंगलवार को सदन में ध्वनिमत से पारित किया गया। इस विधेयक में चिकित्सकों द्वारा दिए गए सुझावों को भी शामिल किया गया है।
राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 के प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक निवासी को किसी भी 'सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों' पर 'बिना पूर्व भुगतान' के आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार होगा। यह विधेयक में उल्लिखित 20 अधिकारों में से एक है।
स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘चिकित्सकों का एक भी सुझाव ऐसा नहीं है जिस पर समिति ने विचार नहीं किया हो। हमने उनके सभी सुझावों को शामिल कर लिया है, लेकिन बाद में वे बिल को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करने लगे, जो उचित नहीं है।’’
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उन्होंने कहा कि विधेयक को लेकर भाजपा सदस्यों ने भी सुझाव दिए और इसे सभी की सहमति से पारित किया गया।
उन्होने कहा, ‘‘मूल रूप से पेश किए गए बिल और पारित किए गए बिल के बीच कई अंतर हैं। चिकित्सकों से वन-टू-वन मीटिंग हुई, मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव ने व्यक्तिगत रूप से चिकित्सकों से बात की और उनके सुझाव मांगे सरकार ने उनके सुझाव पर पहले ही विचार कर लिया है लेकिन इसके बावजूद वे आंदोलन कर रहे हैं।’’
मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि विधेयक को वापस नहीं लिया जाएगा और जल्द ही इसके नियम बनाए जाएंगे, ताकि लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार दिया जा सके।
भाजपा नेता एवं विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड ने कहा कि उन्होंने नामित अस्पताल के संदर्भ में सरकार से मांग की है कि सरकार इसे कम से कम 50 बिस्तरों वाले मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के रूप में परिभाषित करे ताकि अस्पताल किसी भी आपात स्थिति को संभाल सके।
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विधेयक पर बहस के जवाब में मंत्री ने मंगलवार को इस मांग का जवाब दिया था और कहा था कि राठौड के सुझावों को नियम बनाते समय जोड़ा जाएगा।
इस पर राठौड़ ने कहा, 'इसे बिल के मसौदे में ही शामिल किया जाना चाहिए था।'
उधर, आंदोलनरत चिकित्सकों ने कहा कि उनका विरोध जारी रहेगा और आंदोलन को और तेज किया जाएगा।