Delhi-NCR Pollution: दिल्ली- एनसीआर की आबोहवा में घुलने लगा धीमा जहर

डीएन ब्यूरो

खरीफ की कटाई का मौसम शुरू होते ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

दिल्ली- एनसीआर की हवा खराब
दिल्ली- एनसीआर की हवा खराब


नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) की आबोहवा प्रदूषित (Polution) होने शुरु हो गयी है। पराली (Stubble) जलने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पहले ही 100 से ज़्यादा पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी हैं। जो कि चिंता का विषय है क्योंकि पंजाब और हरियाणा ने 2024 तक शून्य पराली जलाने का वादा किया था। वायु प्रदूषण कम करने के लिए परिवहन और धूल नियंत्रण जैसे कई वादे पूरे नहीं हुए हैं। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पराली जलाने की घटनाओं के कारण हर साल दिल्ली-एनसीआर (NCR) में वायु प्रदूषण बढ़ता है।

राज्यों ने पूरे नहीं किए अपने वादे
केंद्र सरकार की हालिया समीक्षा में पाया गया कि दिल्ली सरकार ने 2024 तक 2,350 ई-बसों की खरीद का लक्ष्य रखा था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। 2025-26 तक 18,000 इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग पॉइंट तैयार करने थे, लेकिन अभी सिर्फ़ 4,800 ही तैयार हैं। हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी हालात अच्छे नहीं हैं।

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दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में सोमवार को एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स एक्‍यूआई) 210 से 263 के बीच रहने के साथ हवा की गुणवत्ता 'खराब' हो गई। केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सर्दियों के प्रदूषण पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कहा कि पंजाब और हरियाणा पराली जलाने के दो सबसे बड़े हॉटस्पॉट हैं, जो इस साल पराली जलाने की प्रक्रिया को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

 जानकारी के अनुसार पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसान सबसे सस्ते और तेज माध्यम के रूप में फसल अवशेषों को जलाना पसंद करते हैं। 

दिल्ली में PM 10 का स्तर काफी बढ़ गया
दिल्ली में धूल की वजह से PM 10 का स्तर काफ़ी बढ़ जाता है। यहां अभी भी क़रीब 200 किलोमीटर के सेंट्रल वर्ज और इतनी ही लंबाई वाले सड़क किनारों को हरा-भरा नहीं किया गया है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी 100 किलोमीटर और 200 किलोमीटर के सड़क किनारों को हरा-भरा करने का काम बाक़ी है।

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पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आदर्श पाल विग ने बताया कि शुरुआती पांच दिनों में पंजाब में पराली जलाने की सिर्फ 18 घटनाएं दर्ज की गई थीं. इससे पता चलता है कि 20 सितंबर से 24 सितंबर के बीच 63 घटनाएं सामने आई हैं. डेटा से पता चलता है कि 2021 से पंजाब में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आई है। 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में साल 2021 में 71,000 से अधिक आग की घटनाएं, 2022 में 49,900 और 2023 में निर्धारित खरीफ फसल के मौसम के दौरान 36,600 से अधिक घटनाएं हुई हैं।


 










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