दिल्ली के 2020 के दंगे: अदालत ने तीन लोगों को तोड़फोड़, हमला और आगजनी के आरोपों से बरी किया
उत्तर पूर्व दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही एक सत्र अदालत ने तीन आरोपियों को तोड़फोड़, हमले और आगजनी सहित सभी आरोपों से बरी कर दिया है क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को ‘‘उचित संदेह से परे’’ साबित नहीं कर सका।
नई दिल्ली: उत्तर पूर्व दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के एक मामले की सुनवाई कर रही एक सत्र अदालत ने तीन आरोपियों को तोड़फोड़, हमले और आगजनी सहित सभी आरोपों से बरी कर दिया है क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोपों को ‘‘उचित संदेह से परे’’ साबित नहीं कर सका।
अदालत दिनेश यादव, संदीप और टिंकू के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिनके खिलाफ पांच शिकायतों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी उस दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 24 फरवरी, 2020 को भागीरथी विहार के पास जौहरीपुर गंगा विहार पुलिया के आसपास हिंसा की थी।
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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रेमाचला ने मंगलवार को एक फैसले में कहा, “मुझे लगता है कि इस मामले में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सभी उचित संदेहों से परे साबित नहीं हुए हैं और वे संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। इसलिए, आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है।’’
न्यायाधीश ने कहा कि यह साबित हो गया है कि जो पांच घटनाएं सामने आईं, वो गैरकानूनी तरीके से लोगों के जमा होने के कारण घटीं जिन्होंने दंगा, हमला, तोड़फोड़ और आगजनी की।
हालांकि, अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के केवल तीन गवाहों ने उनकी पहचान की जिन्हें भीड़ ने पीटा था। इनमें कांस्टेबल विपिन, हैड कांस्टेबल सनोज और ऑटो चालक आफताब आलम शामिल थे।
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हालांकि पुलिस अधिकारियों ने भीड़ में चौथे आरोपी साहिल के शामिल होने का भी दावा किया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला तीन लोगों के खिलाफ था, वहीं दो पुलिस कर्मियों ने चौथे आरोपी का नाम या तो किसी संशय की वजह से या किसी पूर्व सोच के साथ लिया था।