DN Exclusive: किन्नरों के जीवन की हर अंदरूनी जानकारी.. जिसे जानकर चौंक जाएंगे आप
किन्नरों के बारे में आपने सुना तो होगा ही, संभवत: आपने उनको देखा भी होगा, लेकिन किन्नर और उनके समाज की अंदरूनी जानकारी शायद आपको पता न हो। किन्नरों के जीवन से जुड़े हर पहलू पर पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
नई दिल्लीः हमारे समाज में स्त्री-पुरुष के अलावा एक और समुदाय रहता हैं, जिसे हम थर्ड जैंडर यानी किन्नर के नाम से भी जानते हैं। किन्नरों का इतिहास बहुत पुराना है, ये न तो मर्द होते है और न ही महिलाएं। यानी ये इन दोनों का सम्मिलित रूप हैं। जब भी लोगों के घरों में कोई धार्मिक कार्य व किसी बच्चे का जन्म होता हैं तो ये किन्नर वहां नाच-गाना करके अपनी आजीविका को आगे बढ़ाते हैं।
इन्हें अपने बीच पाकर आम समाज कई बार किन्नरों की खिल्लियां भी उड़ाता हैं, जिससे इनको मानसिक आघात पहुंचता हैं। कहा जाता है कि किन्नर अगर किसी को बददुआ दे दें तो वह इंसान बर्बाद हो जाता हैं। वहीं अगर किसी को वह आशीर्वाद दे तो वह काफी खुशनसीब कहलाता हैं।
किन्नरों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
1 कौन होते है किन्नरः किन्नर यानी हिजड़ों को लेकर कहा जाता हैं जब मनुष्य धरती पर आया तब से ही किन्नर भी हमारे समाज का हिस्सा रहे है। अगर महाभारत और रामायण को पढ़ें तो यहां पता चलता हैं कि किन्नर तब भी मौजूद थे। महाभारत में तो शिखंडी से भी सभी वाकिफ हैं, जो तब भीष्म पितामाह की मौत का कारण बना था। ये लोग पुरुष और महिलाओं मिश्रण हैं, यानी ये न तो पूरी तरह से पुरुष हैं और न ही महिला। राजा-महाराजाओं के काल में ये शादी व बच्चों के जन्म पर नाच-गाना करके अपना जीवन-बसर करते थे। जो ये अब भी करते हैं। इनको समाज बड़ी घृणा भरी नजरों से देखता हैं और इनका मजाक बनाता हैं, जिससे की इनकी भावनाओं को ठेस पहुंचता है।
2. किन्नरों के पैदा होने को लेकर वैज्ञानिक तथ्यः यह तो सभी को पता हैं कि किन्नर कभी माता-पिता नहीं बन सकते। अब सवाल ये खड़ा होता हैं कि आखिर ये पैदा कैसे होते हैं तो बता दें कि ये भी आम बच्चों की तरह मां की कोख से जन्म लेते हैं। बच्चे के पैदा होते समय उनमे दिखने वाले कुछ शारीरिक विकारों के कारण इसका पता चलता हैं। वैज्ञानिक तथ्यों के मुताबिक मानव जाति में क्रोमोसोम संख्या 46 होती हैं, जिसमें 44 आटोजोम होते है, जबकि बाकी दो सेक्स क्रोमोजोम होते हैं। इससे से बच्चे का निर्धारण होता हैं कि वह लड़की होगा या लड़का। अगर यही दो सेक्स क्रोमोसोम XY है तो वह लड़का होगा, जबकि XX होने पर लड़की पैदा होगी। XY और XX क्रोमोसोम के अलावा (XXX, YY, OX) क्रोमोसोम वाले मनुष्य को क्रोमोसोमल डिसऑर्डर बोलते हैं, जिसे आम भाषा में किन्नर या हिजड़ा बोलते हैं।
3. ऐसी होती हैं किन्नरों की शव यात्राः इनकी शव यात्रा की बहुत अनोखी होती हैं। जब कोई किन्नर मरता है तो किन्नर समुदाय के लोग 1 सप्ताह तक उपवास रखते हैं। ये उपवास उसकी मौत के गम में नहीं बल्कि किन्नर समाज मानता हैं कि ऐसा करने से मरने के बाद उसे इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता हैं। किन्नर मुर्दों को जलाते नहीं हैं, बल्कि दफनाते हैं। वहीं किन्नर की शादी सिर्फ एक दिन के लिए ही होती है।
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इन हरकतों से किन्नर समाज हो रहा बदनाम
1. नाच-गान से अपनी आजीविका चलाने वाले किन्नरों ने इन दिनों एक और पेशा अपना लिया हैं। जिसे देह व्यापार के नाम से जाना जाता हैं। देह व्यापार में इनकी बढ़ती सक्रियता की वजह से ये समाज में पहले से और बदनाम हो रहे हैं।
2. बात अगर दिल्ली की करें तो यहां पर खासतौर पर इंडिया गेट ही नहीं बल्कि राजधानी के पॉश इलाकों जैसे साउथ एक्स धौलाकुआं, एम्स, गुड़गांव-दिल्ली बॉर्डर, लाजपत नगर, डिफेंस कॉलोनी और पश्चिमी दिल्ली समेत दूसरे क्षेत्रों में शाम ढलते ही इनका जिस्मफरोशी का धंधा शुरू हो जाता है। यहां रात के अंधेरे में ये लोगों को न सिर्फ अपनी अदाओं से आकर्षित करते हैं बल्कि उन्हें अश्लील-इशारे कर अपने जाल में फंसाते हैं।
3. कुछ लोगों ने किन्नरों का नाम बदनाम करने के लिए कमाई का नया जरिया ढूंढ लिया है। महानगरों में जब आप सड़कों पर ट्रैफिक सिग्नल पर रुकते हैं तो ये किन्नर कुछ मिनट के लिए हरी बत्ती होने के इंतजार में खड़े वाहन चालकों के सामने तालियां बजाकर पैसों की मांग करते हैं, नहीं देने पर उन्हें भद्दी गालियां भी देते हैं। जिससे किन्नर समाज बदनाम हो रहा हैं।
4. पब-बार में लोगों को रात ढलते ही रंगीन हसीनाओं व बालाओं का डांस दिखाने के नाम पर यहां दलाल भोले-भाले युवाओं को लूट रहे हैं। खासतौर पर साइबर सिटी के नाम से मशहूर गुड़गांव के एमजी रोड के आस-पास बने मॉल्स, पब- बार में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जहां युवा रात को मस्ती करने यहां पहुंचते हैं और तब वो जोश में होते हैं और जब उनका नशा टूटता हैं तो तब पता चलता हैं कि पब- बार में जिसे वे युवती समझ रहे थे वो कोई और नहीं बल्कि किन्नर था।
5. देश में किसी भी राज्य की पुलिस इनके ऐसे घिनौने कामों के लिए हालांकि पुलिस किन्नरों के खिलाफ मामले तो दर्ज करती हैं लेकिन समस्या तब पैदा होती हैं कि आखिर इन्हें जेल में कहां बंद किया जाए। क्योंकि इनके अश्लील इशारे और हरकतों से नार्मल कैदी भी इनकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं और जेल का भी माहौल खराब होता है।
6. कई बार देश के कई थानों में ऐसे भी मामले आए हैं जब नकली किन्नरों का गिरोह असली किन्नरों के क्षेत्र में घरों से उगाही करता हुआ पकड़ा गया हो। थानों में ऐसे केसों की भी भरमार है।
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7. हद तो तब हो जाती हैं जब ये किन्नर किसी मामले में फंसते हैं तो सरेआम कपड़े उतारकर पुलिस के सामने प्रदर्शन करने लगते हैं। जिससे सार्वजनिक जगह पर इस तरह की हरकतों की वजह से पुलिस को मजबूरी में इन्हें छोड़ना पड़ जाता है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के हौजखास विलेज में 19 अगस्त की रात को आया जब 7-8 किन्नरों ने वहां रेस्त्रां वालों, गाड़ी वालों व आस-रहने वाले लोगों से पैसों की मांग की जब इन लोगों ने पैसे देने से मना कर दिया और पुलिस बुलाई तो वहां इन किन्नरों ने पुलिस के सामने नग्न प्रदर्शन कर सभी को शर्मसार कर दिया।
किन्नरों को लेकर कानून
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि किन्नर भी देश के नागरिक हैं। उन्हें भी आम लोगों की तरह शिक्षा, काम पाने और सामाजिक बराबरी हासिल करने का पूरा हक है। वहीं इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में निर्वाचन आयोग ने किन्नरों को थर्ड जेंडर का दर्जा देकर उनको वोट का अधिकार देकर एक नई पहचान दी। वहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश जारी कर कहा कि इन सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा नौकरियों में भी आरक्षण दिया जाए। अदालत ने सरकार से कहा कि किन्नरों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में देखा जाए क्योंकि अब तक जो इन्होंने जुल्द सहे हैं अब ये उससे बच सके।
किन्नरों के अधिकारों के लिए इन्होंने की पहल
इनके अधिकारों को मुखर करने वाली किन्नरों की नेता लक्ष्मी नारायाण त्रिपाठी का कहना हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जहां किन्नर समाज में नई जागृति आएगी वहां आज संपूर्ण किन्नर समाज कोर्ट के इस निर्णय से खुद को संपूर्ण भारतीय महसूस कर रहा हैं।