आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस दिन को देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है।
देवउठनी एकादशी
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी पर यानी बुधवार को देवउठनी एकादशी है। चार माह के चौमासे की योग निद्रा से भगवान विष्णु इसी दिन बाहर आएंगे और सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालेंगे। इसीलिए इस दिन व्रत का विशेष महत्व है।
शादियां
बुधवार 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी है और इस दिन पूरे देश में भरमार शादियां होने जा रही हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीविष्णु ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को लम्बे युद्ध के बाद समाप्त किया था।
तुलसी पूजा
इस दौरान तुलसी पूजा भी की जाती है। इसी दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह होता है।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति
मान्यता के अनुसार ऐसा करने से अंखड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। खास यह कि तुलसी विवाह के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मां तुलसी को सुहाग सामग्री
इसके तहत तुलसी विवाह करें तो पूजा के समय मां तुलसी को सुहाग सामग्री और लाल चुनरी अवश्य चढ़ाएं।
दीप माला भी सजाएं
तुलसी विवाह के पावन अवसर पर रंगोली और रंग-बिरंगी रोशनी से घर-आंगन सजेगा। वहीं दीप माला भी सजाएं।
शुभ समय
आज शुभ समय सुबह 6:00 से 9:11 बजे तक है। तुलसी विवाह का शुभ समय शाम 5:00 से 6:30 तक है। राहुकाल दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक है। इस समय शुभ कार्य न करें। इस दौरान तुलसी जी की स्तुति का पाठ करना चाहिए।
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