जम्मू-कश्मीर में मोहभंग, निराशा और हताशा की जगह विकास, लोकतंत्र, गरिमा ने ले ली: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले चार साल जमीनी स्तर के लोकतंत्र में नए सिरे से विश्वास के प्रतीक रहे हैं और मोहभंग, निराशा एवं हताशा की जगह विकास, लोकतंत्र एवं गरिमा ने ली है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले चार साल जमीनी स्तर के लोकतंत्र में नए सिरे से विश्वास के प्रतीक रहे हैं और मोहभंग, निराशा एवं हताशा की जगह विकास, लोकतंत्र एवं गरिमा ने ली है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने के बाद मंगलवार को कई अखबारों में छपे आलेख में मोदी ने उल्लेख किया कि इस मुद्दे से कई दशकों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य के रूप में जुड़े रहते हुए उन्होंने इसमें शामिल बारीकियों और जटिलताओं के बारे में कैसे सूक्ष्म समझ विकसित की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं कि जम्मू-कश्मीर के लोग विकास चाहते हैं और अपनी क्षमता एवं कौशल के आधार पर भारत के विकास में योगदान देना चाहते हैं।
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मोदी कहा कि वे अपने बच्चों के लिए हिंसा और अनिश्चितता से मुक्त जीवन की बेहतर गुणवत्ता चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने नागरिकों की चिंताओं को समझने, सहायक कार्यों के माध्यम से विश्वास पैदा करने तथा ‘‘विकास, विकास तथा और अधिक विकास’’ को प्राथमिकता देने के तीन स्तंभों को प्राथमिकता दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मोदी ने कहा कि अपने फैसले से उच्चतम न्यायालय ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत किया है और हमें याद दिलाया है कि जो चीज हमें परिभाषित करती है वह एकता के बंधन और सुशासन के लिए साझा प्रतिबद्धता है।
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मोदी ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पैदा होने वाला हर बच्चा जीवंत आकांक्षाओं से भरे भविष्य के अपने सपनों को साकार कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, लोगों के सपने अतीत में कैद नहीं हैं, बल्कि वे भविष्य की संभावनाओं पर आधारित हैं। आखिरकार, विकास, लोकतंत्र और गरिमा ने मोहभंग, निराशा और हताशा का स्थान ले लिया है।’’