DN Exclusive: डीएम-एसपी के सामने निचलौल थानेदार निर्भय कुमार सिंह की भयानक अनुशासनहीनता

शिवेन्द्र चतुर्वेदी/शुभम खरवार

पुलिस फोर्स को अनुशासित महकमा माना जाता है लेकिन यह बात पुराने कप्तान की आंखों के तारे रहे इंस्पेक्टर निर्भय कुमार सिंह को समझ में नहीं आती। आखिर क्यों? क्या ये अपने आप को सिस्टम से ऊपर समझते हैं? डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

देखिये कमर पर हाथ लगा कैसे खड़े हैं बेअंदाज निचलौल थानेदार निर्भय कुमार सिंह
देखिये कमर पर हाथ लगा कैसे खड़े हैं बेअंदाज निचलौल थानेदार निर्भय कुमार सिंह


निचलौल (महराजगंज): पुराने निष्क्रिय कप्तान के जमाने से श्यामदेउरवा से लेकर सोनौली और अब निचलौल जैसे कामधेनू थानों में जमकर मलाई काट रहे निचलौल थानेदार निर्भय कुमार सिंह की भयानक अनुशासनहीनता सामने आयी है।

मामला शनिवार को हुए निचलौल में थाना समाधान दिवस का है। डीएम और एसपी के आने के पहले थाने में समाधान दिवस का कोई माहौल नहीं था, सब कुछ खानापूर्ति।

जैसे ही डीएम-एसपी के आने की सूचना मिली, थाने का माहौल बड़े अफसरों की आंखों में धूल झोंकने के लिए पल भर में बदल दिया गया।

अपने उच्च अफसरों के सामने कैसे सावधान की मुद्रा में खड़े हुआ जाता है, यह तक बेअंदाज निर्भय कुमार सिंह भूल गये हैं।

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डाइनामाइट न्यूज़ के कैमरे में निर्भय की बेअंदाजी कैद हुई है। जिस वक्त डीएम-एसपी थाना दिवस के दौरान रजिस्टर चेक कर रहे थे, उस वक्त निर्भय बड़े अफसरों के सामने अथवा बगल में खड़े होने की बजाय पीछे खड़े होकर देख रहे थे कि अफसर किस चीज को चेक कर रहे हैं, वह भी पूरी बेअंदाजी के साथ।

क्या यह तरीका है किसी इंस्पेक्टर का पुलिस कप्तान के पास खड़े होने का

तस्वीरों में साफ दि रहा है कि कैसे इस मनबढ़ इंस्पेक्टर ने अपना एक हाथ अपने कमर पर लगा रखा है, क्या यह तरीका है किसी इंस्पेक्टर का जिले के अपने सबसे बड़े उच्चाधिकारी पुलिस कप्तान के पास खड़े होने का।

सवाल और भी गंभीर है जब थानेदार ही ऐसी करतूत करेगा तो फिर दरोगा और सिपाही क्या करेंगे, इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

खबर ये भी है कि थानेदार के राज में पूरे थाने में लूट मची हुई है, जिससे जहां बन पड़ रहा है, जमकर लूट रहा है।

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दारु की लूट

डीएम-एसपी के निचलौल थाने पहुंचने के 15 मिनट पहले नेपाली दारू पकड़कर थाने लायी गयी, जिसे देखते ही देखते चौकीदार रखने लगे लेकिन थानेदार ने कुछ नहीं बोला। जब गहमा गहमी हुई तो एक दरोगा ने दारू को अंदर रखवाया, तब चौकीदारों की भीड़ हटी। सवाल यह है कि कैसे बरामदगी के सरकारी माल को कोई अपने जेब में रख सकता है। क्या इस मामले की कोई जांच होगी कि कैसे निर्भय के जमाने में थाने के अंदर बड़े-बड़े कांडों को अंजाम दिया जा रहा है।

नेमप्लेट कांड 

निर्भय के बेअंदाजी की एक और खबर सामने है। साहब का जो सरकारी रिकार्ड में नाम है, उससे अलग, मनमर्जी से अलग-अलग समय अलग-अलग नेमप्लेट लगाने में साहब को खूब मजा आता है। कभी ये निर्भय कुमार, तो कभी निर्भय प्रताप, तो कभी निर्भय कुमार सिंह और कभी निर्भय प्रताप सिंह की नेमप्लेट सीने पे ठोके नजर आते हैं। आखिर क्यों.. साहब ऐसे कांड करते हैं, इसके पीछे की मंशा ये ही जानें। 










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