DN Exclusive: भू-माफिया के झांसे में आना पड़ा महंगा, एसडीएम सदर के तबादले के पीछे की इनसाइड स्टोरी

डीएन संवाददाता

महराजगंज जिले में भू-माफियाओं का एक ऐसा गिरोह है जो अफसरों को बहका-फंसा जमीनों में बड़े-बड़े खेल कर रहा है। ऐसे ही एक मामले में हुई शिकायत के बाद साई तेजा सीलम को महराजगंज जिले से हटा जौनपुर भेज दिया गया है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

तबादले के पीछे की इनसाइड स्टोरी
तबादले के पीछे की इनसाइड स्टोरी


लखनऊ: भू-माफियाओं का एक ऐसा गिरोह जिले में है जो नये-नवेले अफसरों को सत्ता की धौंस दिखा अपने जाल में उलझा ले रहा है और उनसे अपने स्वार्थ के मुताबिक जमीनों के मालिकाना हकों में हेराफेरी करा दे रहा है।

इन भू-माफियाओं की चांदी तब हो जाती है जब महत्वपूर्ण कुर्सियों पर नये लड़के तैनात हो जाते हैं। सत्ता की धौंस दिखा ये भू-माफिया अनुभवहीन नये लड़कों को उलझा दे रहे हैं, अंत में नुकसान इन अनुभवहीन अफसरों का ही हो रहा है। 

कुछ ऐसा ही मामला सदर तहसील का है। 2015 बैच के नये लड़के साईं तेजा सीलम को महराजगंज सदर का एसडीएम बनाया गया। शुरुआत में ये अच्छा चले लेकिन आगे जाकर बहक गये। नगर के एक चर्चित भू-माफिया की नजर तहसील क्षेत्र की एक जमीन पर पड़ी और इस जमीन के मालिकाना हक को अपने पक्ष में कराने के लिए इस भू-माफिया ने अफसर पर डोरे डालने शुरु किये। महज 7 साल की नयी नौकरी, ऊपर से आईएएस होने का घमंड पाले अफसर ने बिना सोचे-समझे जमीन के मालिकाना हक को बदलने की लिखा-पढ़ी शुरु कर दी। नतीजा शिकायत लखनऊ के उच्च सत्ता प्रतिष्ठान में पहुंची और जिले से विदाई का वारंट निकल गया। 

डीएमगिरी के दिन पूरे होते ही दिन में दिखते हैं तारे

महज 8-10 साल की नौकरी और ऊपर से आईएएस होने का घमंड पाले अफसरों की प्रदेश भर में कमी नहीं है, इन्हें इस सच्चाई का तनिक भी भान नहीं कि आगे के दस साल बाद यानि जब डीएमगिरी के दिन पूरे हो जाते हैं तो इन आईएएस अफसरों को कहां-कहां मारा-मारा फिरना पड़ता हैं? तब यदि कुछ काम आता है तो इमेज, जो पूर्व के दिनों में कुर्सी पर रहकर कमाई है।

जेल की सलाखों से है पुराना याराना 

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सत्ता पक्ष की चादर में लिपटा यह भू-माफिया कई बार जेल भी हो आया है, संगठन से लेकर सरकार तक में इसकी कोई पूछ नहीं लेकिन अफसरों के सामने कुर्सी पर बैठ फोटो खींचा सोशल मीडिया में ऐसे वायरल करता है जैसे जिले का असली बॉस यही है।

नये अफसर के आते ही बिछाते हैं जाल 

इस चर्चित भू-माफिया का सबसे बड़ा शगल है, जैसे ही जिले में कोई बड़ा अधिकारी कार्यभार संभालता है, वैसे ही यह पहुंच जाल बिछाना शुरु कर देता है ताकि अफसर उसे सत्ता का सबसे निर्णायक खिलाड़ी समझने का भ्रम पाल बैठे।   

बहरुपिये संगठनों की आड़ में की जाती है झूठी शिकायतें

यही नही यह चर्चित भू-माफिया अपनी झूठी बात को सही बताने और जताने के लिए बाकायदा षड़यंत्र करता है। बाकायदे एक साजिश के तहत यह भू-माफिया अपने गिरोह में शामिल लोगों को समाजसेवी और विभिन्न संगठनों से जुड़ा बताकर जिले के बड़े अफसरों के पास झूठे महज्जरनामे लेकर भेजता है और अपनी सुविधा के मुताबिक जालसाजी भरी शिकायतें जमीनों व इससे जुड़े लोगों के बारे में कराता है ताकि अफसर जाल में उलझ जाये और बात को सच मान अंजाने में गलत काम कर बैठता है। 

अनुभवहीन अफसर दूसरे पक्ष की बात तक सुनना नहीं समझते गंवारा

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स्थिति और विकट तब हो जाती है जब ये नये लड़के एकतरफा आदेश कर देते हैं यानि प्रभावित पक्ष को बुलाकर उसका पक्ष जानने की आवश्यकयता ही नहीं समझते और नतीजा बाद में कोर्ट-कचहरी के जाल में उलझ अपनी नौकरी खराब कर बैठते हैं।

जल्द गिरेगा एक और विकेट

लखनऊ के उच्च सत्ता प्रतिष्ठान की मानें तो जिले में अभी एक और अफसर का विकेट गिरेगा।  

एलआईयू को करनी होगी और कड़ी निगहबानी 

इन परिस्थितियों में एलआईयू की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे जिले से लेकर मंडल और राज्य स्तर के बड़े अफसरों को समय रहते आगाह करें कि जिले में कौन क्या साजिशें कर रहा है ताकि सरकार कि उज्ज्वल छवि पर कोई दाग न आये और साथ ही इन भ-माफियाओं के चक्कर में कानून और व्यवस्था की स्थिति भी न बिगड़े। 

  










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