महराजगंज: सेमरहवा चराई टोला के दर्जनों लोग सालों बाद भी आवास और मूल सुविधाओं से वंचित, जिम्मेदार भी नदारद, पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की ग्राउंड रिपोर्ट
नौतनवा तहसील अंतर्गत लक्ष्मीपुर ब्लॉक से करीब 22 किलोमीटर दूर रोहिणी नदी के पार दर्जनो ऐसे परिवार है जो आवास समेत तमाम मूल भूत सुविधाओं से वंचित है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर
नौतनवा (महराजगंज): जनपद के नौतनवा तहसील अंतर्गत लक्ष्मीपुर ब्लॉक से करीब 22 किलोमीटर दूर रोहिणी नदी के पार जंगल किनारे बसे सेमरहवा गांव के चराई टोला पर शायद ही कभी कोई जिम्मेदार जाने की जहमत उठाए। चराई टोला पर बसे दर्ज़नों गरीब परिवार को हर पंचवर्षीय में आवास मिलने का इंतजार रहता है। पर उनकी तमन्ना कभी पूरी नहीं होती।
न जाने क्यूँ हर बार इन बेहद ही गरीब परिवारों का नाम आवास की सूची से काट दिया जाता है या सूची में उनका नाम ही नहीं आता।
यह भी पढ़ें |
महराजगंज: सेमरा गांव में सांप्रदायिक तनाव खत्म करने की पहल
डाइनामाइट न्यूज की टीम ने इस जगह कवरेज के लिए रोहिणी नदी पर गांव के लोगों द्वारा बनाया गए बांस के पुल को पार कर के धूल भरी कच्ची सड़कों से दूरी तय करते हुए जंगल किनारे सेमरहवा के चराई टोला पहुंची। यहां दर्ज़नों बेहद ही गरीब परिवार झोपड़ी डालकर रहते है।
यहां के लोगों रमावती, सुनीता, फूला, चीनक, विश्वनाथ, गुड़िया, आमराती, राजेन्द्र, शुभावती आदि लोगों ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि वो सब यहां वर्षो से रह रहे हैं। उनका झोपड़पट्टी जंगल से बहुत करीब है। अक्सर रात में तेंदुए जैसे जंगली जानवरों का भय सताता रहता है। उनका घर झोपड़ी का है इसलिए हमेशा जंगली जानवरों के हमले को लेकर डर बना रहता है। अगर उन्हें पक्की छत मुहैया होती तो हम सब भी सुकून से अपने पक्के घरों मे रह पाते।
यह भी पढ़ें |
महराजगंज में सिंचाई विभाग के डकैत इंजीनियरों का काला-कारनामा, करोड़ों खर्च फिर भी टूटा महाव नाला, कई गांवों में घुसा पानी
डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में टोले के लोगों ने बताया वो सब यहां वर्षो से रह रहे है, लेकिन आज तक उनका नाम आवास सूची मे नहीं डाला गया। जबकि उनका परिवार पात्रता की सूची मे आता है, फिर भी न जाने क्यों नाम काट दिया जाता है।
टोले के लोगों ने ये भी बताया उनका गांव बाढ़ प्रभावित मे आता है, बाढ़ के समय उनके टोले पर घुटने तक पानी आ जाता है।
बरसात के दिनों मे उनके झोपड़ी मे पानी टपकता है, रात काटना पहाड़ सा हो जाता है, अगर उनका पक्का मकान रहता तो उन्हें काफी राहत मिलती। वही कुछ लोगों ने बताया कि अगर सही से जाँच पड़ताल हो जाए तो अधिकतर पात्र लोगों को आवास मिल ही नहीं पाता है।