आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान: मुख्य आर्थिक सलाहकार

डीएन ब्यूरो

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ों के संशोधित अनुमान को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रतीकात्मक चित्र
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नयी दिल्ली: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि महत्वपूर्ण आंकड़ों के संशोधित अनुमान को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी। जनवरी में जारी पहले अग्रिम अनुमान में भी जीडीपी वृद्धि दर इतनी ही रहने का अनुमान लगाया गया था।

नागेश्वरन ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण संकेतकों को देखते हुए और जिस तेजी से उसमें सुधार हो रहा है, उसके आधार पर मेरा मानना है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर नीचे जाने के बजाए ऊपर रहेगी।’’

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वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर यानी स्थिर मूल्य (2011-12) पर सकल घरेलू उत्पाद 2022-23 में 159.71 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2021-22 के पहले संशोधित अनुमान में इसके 149.26 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था।

एनएसओ के अनुसार स्थिर मूल्य पर जीडीपी वृद्धि दर 2022-23 में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2021-22 में 9.1 प्रतिशत थी। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर धीमी पड़कर 4.4 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने मंगलवार को पिछले तीन साल...2019-20, 2020-21 और 2021-22 के जीडीपी वृद्धि दर के आंकड़ों को संशोधित किया और साथ ही 2022-23 के लिये दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया।

नागेश्वरन ने कहा कि ब्याज दर में जो वृद्धि हो रही है, वह निम्न आर्थिक वृद्धि दर का कारण नहीं हो सकता। यह वास्तव में कर्ज की अच्छी मांग के तथ्य को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि वास्तविक ब्याज दर इस समय कोई बहुत ऊंची नहीं है। कुछ क्षेत्रों में पहले की दबी हुई मांग अब सामने आ रही है।

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ग्रामीण महंगाई ऊंची रहने के बारे में नागेश्वरन ने कहा कि इसमें इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया गया कि आबादी के बड़े हिस्से को बिना किसी राशि के जरूरी खाद्य सामान मिल रहा है। डिजिटलीकरण के आर्थिक लाभ के बारे में उन्होंने कहा कि डिजिटल लेन-देन में वृद्धि से संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ा है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा, ‘‘मेरा अनुमान है कि यह अस्थायी जीडीपी में हर साल 0.3 प्रतिशत से 0.5 प्रतिशत का योगदान दे रहा है... अभी तक किसी ने भी समुचित रूप से अनुमान नहीं जताया कि डिजिटल बुनियादी ढांचे का आर्थिक वृद्धि में क्या योगदान हो रहा है। इसका आकलन करने की जरूरत है।’’

 










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