Joshimath Sinking: जोशीमठ में खतरा बरकरार, होटल मालिकों और स्थानीय लोगों को मनाने में जुटा प्रशासन

डीएन ब्यूरो

जोशीमठ में भूधंसाव के कारण खतरनाक हो गए भवनों को गिराए जाने से पहले उनका बदरीनाथ महायोजना की तर्ज पर मुआवजा घोषित किए जाने की मांग पर अड़े होटल मालिकों और स्थानीय लोगों को मनाने के लिए प्रशासन ने बुधवार को नए सिरे से प्रयास शुरू किए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जोशीमठ में भूधंसाव से बड़ा संकट (फाइल फोटो)
जोशीमठ में भूधंसाव से बड़ा संकट (फाइल फोटो)


जोशीमठ/ देहरादून: जोशीमठ में भूधंसाव के कारण खतरनाक हो गए भवनों को गिराए जाने से पहले उनका बदरीनाथ महायोजना की तर्ज पर मुआवजा घोषित किए जाने की मांग पर अड़े होटल मालिकों और स्थानीय लोगों को मनाने के लिए प्रशासन ने बुधवार को नए सिरे से प्रयास शुरू किए।

हालांकि, प्रदर्शनकारियों और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम के बीच बातचीत में गतिरोध दूर नहीं हो पाया। इससे भूधंसाव के चलते पड़ी दरारों के कारण एक दूसरे की ओर खतरनाक तरीके से झुके दो होटलों को तोड़ने की कार्रवाई में विलंब हो रहा है।

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'मलारी इन' और 'द माउंट व्यू' होटलों के कारण उनसे निचले हिस्से में स्थित कई भवन भी खतरे की जद में आ गए हैं और इस कारण प्रशासन ने इन्हें तोड़ने का फैसला लिया है।

बैठक से बाहर आकर पुन: अपना धरना शुरू करते हुए 'मलारी इन' होटल के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम बदरीनाथ की तर्ज पर मुआवजा चाहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के सचिव ने कहा कि यह संभव नहीं है और मुआवजा बाजार दर पर दिया जा सकता है।’’

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राणा ने कहा कि जब उन्होंने बाजार दर पूछी तो मुख्य​मंत्री के सचिव ने कहा कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है।

गौरतलब है कि जोशीमठ नगर क्षेत्र में 723 भवनों को भूधंसाव से प्रभावित चिन्हित किया गया है जिनमें से बुधवार तक 131 परिवारों के 462 लोगों को अस्थायी राहत शिविरों में विस्थापित किया गया है।










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