मरीज की हर मौत को चिकित्सकीय लापरवाही नहीं कहा जा सकता: उपभोक्ता आयोग
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा है कि किसी मरीज की मौत को तबतक चिकित्सकीय लापरवाही नहीं माना जाएगा जबतक रिकॉर्ड पर सबूत न हो। इसके साथ ही उसने मृतक के परिजनों को 44 लाख रुपये मुआवजा देने के राजस्थान राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा है कि किसी मरीज की मौत को तबतक चिकित्सकीय लापरवाही नहीं माना जाएगा जबतक रिकॉर्ड पर सबूत न हो। इसके साथ ही उसने मृतक के परिजनों को 44 लाख रुपये मुआवजा देने के राजस्थान राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया।
पीठासीन सदस्य एस एम कांतिकर की पीठ राज्य उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ जयपुर के दो अस्पतालों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मृतक मरीज की पत्नी को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था।
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राज्य आयोग ने उन्हें लापरवाही, असावधानी और मरीज की उचित देखभाल नहीं करने का जिम्मेदार ठहराया था।
पीठासीन सदस्य ने कहा, '...प्रत्येक मरीज की मौत को प्रत्यक्षतः चिकित्सकीय लापरवाही की वजह से हुई मौत नहीं माना जा सकता है, जब तक कि इस संबंध में रिकॉर्ड में कोई सामग्री नहीं हो।'
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उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 2005 के एक फैसले को उद्धृत किया जिसमें चिकित्सकीय लापरवाही का मामला स्थापित करने के लिए परीक्षण निर्धारित किया गया था। उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि हर मामले में जहां इलाज कामयाब नहीं होता है या सर्जरी के दौरान मरीज की मृत्यु हो जाती है, तो यह स्वत: नहीं माना जा सकता कि चिकित्साकर्मी लापरवाह था।'