Falgun Amavasya 2024: फाल्गुन अमावस्या के दिन जानिए किस भगवान की पूजा से मिलेगा लाभ
इस साल 2024 में फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya 2024) 10 मार्च को मनाई जाने वाली है। अमावस्या के दिन कुछ कार्यों को नहीं करना चाहिये। जिनको करने से जीवन में परेशानियों से झूझना पड़ सकता है। डाइनामाईट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिए कि फाल्गुन अमावस्या के दिन किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
नई दिल्ली: मार्च का महीना फाल्गुन का महीना होता है। फाल्गुन महीने में पड़ने वाली अमावस्या फाल्गुन अमावस्या कही जाती है। हिंदू धर्म में हर अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने से शुभ लाभों की प्राप्ति होती है।
डाइनामाईट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिए कि फाल्गुन अमावस्या के दिन किन कार्यों को करने से बचना चाहिए और किस तरह पूजा करनी चाहिये।
फाल्गुन अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि में भगवान की पूजा करने के साथ-साथ पितरों की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विशेष उपाय करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। फाल्गुन अमावस्या पर पितरों की पूजा करके उनको प्रसन्न किया जाता है और उनकी मोक्ष की प्राप्ति की कामना की जाती है। इस दिन गंगा में स्नान और दान करने करने का भी विधान माना जाता है। इस दिन पशु-पक्षियों को दाना डालना चाहिये।
मान्यता के अनुसार ऐसा करने से पूर्वजों की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता और जीवन की परेशानियां दूर होती है। इस बार फाल्गुन अमावस्या 10 मार्च को मनाई जाने वाली है।
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किस भगनान की पूजा करें
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भी विशेष कृपा प्राप्त होती है. अमावस्या के दिन अपनी इच्छानुसार दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। इससे ऐसा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि भी किया जाता हैं। फाल्गुन अमावस्या पर भगवान शिव की आराधना करने तथा नियमपूर्वक शिव पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय नहीं होता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं, साथ ही इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं।
फाल्गुन अमावस्या के दिन गरीब लोगों को भोजन कराना और पैसों का दान करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों की अति कृपा प्राप्त होती है। इस दिन अपनी इच्छानुसार कपड़े, चीनी, या अनाज आदि चीजों का भी दान करने से भी लाभ मिलता है।
चूक से इस तरह बचें
इस दिन किसी अन्य के घर पर भोजन नहीं करना चाहिए। फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा या अपशब्द कहने से बचना चाहिए। इस दिन शरीर पर तेल लगाना और तेल की मालिश करना वर्जित माना जाता है। फाल्गुन अमावस्या के दिन नाख़ून और सर के बाल नहीं काटने से बचना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा, शराब, प्याज, लहसुन, बैंगन और मसूर दाल नहीं खाना चाहिये। इस दिन नई झाड़ू नहीं खरीदनी चाहिए, ऐसा करने से लक्ष्मी माँ नाराज़ होती हैं। तथा इस दिन आटा या गेहूं की खरीद नहीं करनी चाहिए वरना पितृ नाराज़ हो जाते हैं।
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पूजा विधि
फाल्गुन अमावस्या में स्नान का समय 05:20 से लेकर 06:21 है। इस समय उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। फिर सूर्य देव और पितरों को जल अर्पित करें। गणेश जी को प्रणाम करने के बाद विष्णु भगवान का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। उन्हें पीले पुष्प, पीला वस्त्र, चन्दन, सुपारी, कुमकुम अर्पित करें। ऐसा करने से घर से कलह और दरिद्रता दूर होती है। साथ ही तुलसी माता भगवान विष्णु की अति प्रिय हैं, इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा से भी शुभ फल की प्राप्ति होती और भगवान विष्णु की कृपा होती है। इसके बाद घर में घी का दीपक और धूप जलाकर आराधना करनी चाहिए। इसके बाद गरीबों या जरूरतमंदों को दान दें।
अमावस्या के दिन व्रत रखने के दौरान फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। इस दिन सेंधा नमक का प्रयोग कर के ही खाना बनाना चाहिये।