फतेहपुर: जनपद में फल-फूल रहे फर्जी विद्यालय, जिम्मेदार कौन?

डीएन संवाददाता

शहर से लेकर कस्बों तक फर्जी और बिना मान्यता के विद्यालयों का संचालन खुलेआम जारी है, जिससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। पढ़िए डायनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बिना मान्यता के विद्यालयों का संचालन खुलेआम जारी
बिना मान्यता के विद्यालयों का संचालन खुलेआम जारी


फतेहपुर: शहर से लेकर कस्बों तक फर्जी और बिना मान्यता के विद्यालयों का संचालन खुलेआम जारी है, जिससे बच्चों (Childern) के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर इन अवैध स्कूलों (illegal schools) को संचालित (operated) करने वाले लोगों के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं, और इसके लिए जिम्मेदार कौन है? 

डायनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गोल्डेन पब्लिक स्कूल, जो बिना मान्यता के संचालित हो रहा है, एक बार फिर चर्चा में है। इस स्कूल के संचालन के बावजूद, सक्षम अधिकारियों द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई (Action) नहीं की गई है। यह सवाल उठता है कि जब इन अधिकारियों (Officer) को इन फर्जी स्कूलों की जानकारी है, तो वे चुप क्यों बैठे हैं? क्या इसके पीछे कोई गहरी साजिश या भ्रष्टाचार का खेल है?

शहर से कस्बों तक फैला हुआ नेटवर्क
फतेहपुर जनपद में न केवल शहर बल्कि छोटे कस्बों में भी ऐसे कई विद्यालय संचालित हो रहे हैं जो बिना किसी मान्यता के शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। यह बच्चों के भविष्य के साथ एक गंभीर खिलवाड़ है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे और उनके माता-पिता अंजाने में एक बड़े धोखे का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे नहीं जानते कि उनके बच्चों की शिक्षा का कोई कानूनी मान्यता नहीं है।

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जिम्मेदार विभाग और अधिकारियों की भूमिका
शिक्षा विभाग (Education Department) के जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि वे ऐसे स्कूलों की पहचान करें और उन पर कार्रवाई करें। लेकिन फतेहपुर जनपद में ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय अधिकारी इन मामलों को लेकर गंभीर नहीं हैं। जब इस मुद्दे पर अधिकारियों से बातचीत की जाती है, तो उनका कहना होता है कि उन्हें पहले इसकी जानकारी नहीं थी। अब जब जानकारी मिल गई है, तो जांच की जाएगी और संचालक के खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा। लेकिन यह नोटिस का खेल केवल औपचारिकता बनकर रह जाता है, और असली कार्रवाई कभी नहीं होती।

स्थानीय प्रशासन की उदासीनता
जनपद के उच्च अधिकारियों का भी यही कहना होता है कि मामले की जांच के लिए खंड शिक्षा अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद जांच प्रक्रिया अनिश्चितकालीन चलती रहती है और फर्जी विद्यालयों के संचालक बिना किसी डर के अपना कार्य जारी रखते हैं। इस उदासीनता के कारण इन विद्यालयों के संचालकों के हौसले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं।

समाज की भूमिका और आवश्यक कदम
इस समस्या के समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों, विशेषकर माता-पिता और स्थानीय समुदायों को जागरूक होना चाहिए। उन्हें ऐसे फर्जी स्कूलों की पहचान कर उच्च अधिकारियों को सूचित करना चाहिए, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो। मीडिया का भी इस मामले में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है, जिससे इस तरह के मामलों को उजागर कर प्रशासन पर दबाव बनाया जा सके।

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फर्जी और बिना मान्यता के संचालित विद्यालयों की समस्या फतेहपुर में विकराल रूप ले रही है। जब तक प्रशासन और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान नहीं करते, तब तक बच्चों का भविष्य खतरे में रहेगा। यह समय है कि जिम्मेदार विभाग और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और ठोस कार्रवाई करें, ताकि इस तरह के अनैतिक कार्यों पर रोक लग सके।










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