फतेहपुर: धड़ल्ले से काटे जा रहे पेड़, वन विभाग व पुलिस बने मूकदर्शक
यूपी के फतेहपुर में बुधवार को लकड़ी माफियाओं द्वारा पेड़ काटने का मामला सामने आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
फतेहपुर: जनपद के असोथर थाना क्षेत्र में पुलिस और वन विभाग की नाक के नीचे धड़ल्ले से पेड़ कटान का कार्य चल रहा है। एक ओर सरकार पौधरोपण के लिए जोर दे रही है, वहीं पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत से लकड़ी माफिया हरे फलदार वृक्ष को धड़ल्ले से काट रहे हैं, लेकिन विभाग आंखें मूंदे बैठा है। मामला संज्ञान में आने के बाद भी बड़े अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शासन के निर्देश पर प्रति वर्ष प्रशासन पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पौधारोपण करा रहा है। समाजसेवी संस्थाएं भी लोगों को जागरूक कर रही हैं। इसके बावजूद लकड़ी माफिया नहीं मान रहे हैं।
पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत से लगातार हरे पेड़ों का कटान हो रहा है। जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच जाता है तो थोड़ा-बहुत जुर्माना लगाकर मामला रफादफा कर दिया जाता है।
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क्षेत्र के गांव सातों धरमपुर से बरेड़ा निचली गंगा नहर रोड को जाने वाले सड़क के कुछ दूरी पर महुए के बाग के किनारे आम और खेत में खड़े तीन महुए के फलदार वृक्षों को मंगलवार शाम लकड़ी ठेकेदार द्वारा काटे गए पेड़ो का वीडियो वायरल हुआ। मामले की सूचना अधिकारियों को भी दी गई, लेकिन अधिकारियों ने जानकारी न होने की बात कही।
ग्रामीणों ने बताया कि थाना क्षेत्र से सैकड़ों आम, महुआ, गूलर, शीशम इत्यादि के बाग व खेतों से लकड़ी ठेकेदार पेड़ काट कर ले जा चुके हैं। कोई कार्रवाई न होने से इनके हौसले बुलंद हैं। पुलिस शिकायतकर्ता को ही हड़काती है। जिससे अब कोई शिकायत भी नहीं करता।
ग्रामीणों ने बताया कि शासन लाखों रुपये खर्च कर पेड़ लगवा रहा है तथा अन्य लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। क्षेत्रीय पुलिस व वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से पेड़ों का कटान हो रहा है।
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थाना प्रभारी विनोद कुमार मौर्य ने बताया कि पेड़ काटे जाने की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इस बाबत मामला सामने आने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग के दरोगा ब्रजेश कुमार यादव ने बताया कि ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है। मौके पर कर्मचारियों को भेजकर जांच करवाई जाएगी।
लकड़ी ठेकेदारों ने डाइनामाइट न्यूज़ को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले थाना पुलिस को हिस्सा पहुंचा देते हैं। उसके बाद ही कटान शुरू करते हैं। वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी भी खर्चा लेते हैं। जब मामला बड़े अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच जाता है तो मामूली जुर्माना लगा दिया जाता है।