जलवान के लिए जंगल मे पेड़-पौधों की कटाई धड़ल्ले से जारी
उज्ज्वला योजना के तहत सरकार द्वारा साढ़े तीन साल में आठ करोड़ से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन दिये जाने के बावजूद घोषित वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोग जलावन के लिए हर साल आठ करोड़ 50 लाख टन से ज्यादा लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।
नई दिल्ली: उज्ज्वला योजना के तहत सरकार द्वारा साढ़े तीन साल में आठ करोड़ से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन दिये जाने के बावजूद घोषित वन क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोग जलावन के लिए हर साल आठ करोड़ 50 लाख टन से ज्यादा लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।
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भारतीय वन सर्वेक्षण की हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। घोषित वन क्षेत्र के पाँच किलोमीटर के दायरे में बसे गाँवों में सर्वेक्षण के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के अनुसार, जंगल से प्राप्त आठ करोड़ 52 लाख 90 हजार टन लकड़ी हर साल आसपास के गाँव वालों का जलावन बन जाती है। जलावन के लिए जंगलों पर निर्भरता में महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं। शीर्ष 10 में इनके बाद क्रमश: झारखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का स्थान है। (वार्ता)