पूर्व निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने कहा, एक साथ चुनाव कराना वांछनीय लेकिन इसमें कई व्यावहारिक चुनौतियां
देश के पूर्व निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना वांछनीय है और खर्च में कमी सहित इसके कई फायदे भी हैं, लेकिन इसे लागू करने के लिए कई व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
बेंगलुरु: देश के पूर्व निर्वाचन आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना वांछनीय है और खर्च में कमी सहित इसके कई फायदे भी हैं, लेकिन इसे लागू करने के लिए कई व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सरकार ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ की संभावनाएं तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
इस संबंध में टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर कृष्णमूर्ति ने टेलीफोन पर पीटीआई-भाषा से कहा, ''संभावना पर विचार करना, उसकी जांच करना अच्छी बात है।''
कृष्णमूर्ति के अनुसार एक साथ चुनाव कराने के फायदे और नुकसान दोनों हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पूर्व निर्वाचन आयुक्त कृष्णमूर्ति ने कहा, '' इसके (एक साथ चुनाव कराने के) कई फायदे हैं, इस अर्थ में कि आप चुनाव प्रचार आदि में इतना समय बर्बाद नहीं करेंगे। संभवत: चुनाव खर्च में भी कमी आयेगी।''
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उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराकर काफी धन और समय बचाना बेहतर होगा। उन्होंने रेखांकित किया कि अतीत में कुछ राज्यों में संसदीय चुनावों के साथ-साथ राज्य चुनाव भी कराए गए थे और लोगों ने अलग-अलग तरीके से मतदान किया। उन्होंने कहा कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाने पर भी मतदाता अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराना सैद्धांतिक रूप से बहुत आकर्षक है, लेकिन व्यावहारिक रूप से इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, अगर इसे लाया जा सकता है तो यह वांछनीय है, लेकिन यह आसान नहीं होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या एक साथ चुनाव कराने पर राजनीतिक सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण होगा, कृष्णमूर्ति ने कहा, 'बिल्कुल। यह चुनौतीपूर्ण होगा; इसमें कोई संदेह नहीं है।'
उन्होंने कहा कि विधि आयोग एक साथ चुनाव कराए जाने के मुद्दे पर विचार कर चुका है और संसद की स्थायी समिति ने भी संभव होने पर एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया है।
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कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘एक साथ चुनाव कराना निश्चित रूप से संभव है क्योंकि किसी एक साल होने वाले सभी राज्यों के चुनावों को एक साथ कराया जा सकता है। इससे कम से कम एक साल में कई चुनाव कराने का तनाव कम हो जाएगा। यह एक साथ चुनाव कराने के लिए पहला कदम हो सकता है।'
उन्होंने यह भी कहा कि सीमावर्ती राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में चुनाव तीन या चार चरणों के स्थान पर एक ही दिन कराए जाने चाहिए।
कृष्णमूर्ति की राय में विभिन्न चुनाव एक साथ कराने की व्यवस्था की शुरूआत के लिए सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन एक संवैधानिक संशोधन है।
उन्होंने कहा, ‘‘ एक साथ चुनाव कराने की राह में प्रशासनिक मुद्दे भी हैं। चुनाव कराने के लिए बहुत अधिक खर्च, पर्याप्त सशस्त्र बल और जनशक्ति की आवश्यकता होती है, लेकिन ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है। लेकिन संवैधानिक मुद्दा सबसे प्रमुख चुनौती है।''