अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बढ़ी मुश्किलें, लगा ये नये आरोप
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संघीय अभियोजकों ने 27 जुलाई, 2023 को एक बार फिर अभ्यारोपित किया।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट:
वाशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संघीय अभियोजकों ने 27 जुलाई, 2023 को एक बार फिर अभ्यारोपित किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बहुत से लोग अनुमान लगा रहे थे कि इस अभियोग का संबंध छह जनवरी, 2021 को की गई ट्रंप की उस कार्रवाई से है जिसके तहत उनके समर्थकों के एक समूह ने डेमोक्रेट नेता जो बाइडन के चुनाव को प्रमाणित किये जाने की प्रक्रिया को बाधित करने के प्रयास में राष्ट्रपति परिसर ‘कैपिटल’ पर हिंसक तरीके से धावा बोल दिया था।
लेकिन ऐसा नहीं था, नया अभियोग उस मामले में और आरोपों को जोड़ने के लिए है जिसका सामना पद छोड़ने के बाद राष्ट्रपति कार्यालय से संबंधित दस्तावेजों को अवैध रूप से साझा करने, उन्हें अपने कब्जे में रखने और उन्हें वापस करने से इनकार करने के कारण ट्रंप पहले से कर रहे हैं।
नये अभियोग को ’सीएनएन’ पर मैनहट्टन के पूर्व अभियोजक कारेन एगनिफिलो ने ‘ब्लॉकबस्टर’ करार दिया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि ट्रंप ने मार-ए-लागो क्लब पर लगे सुरक्षा कैमरा के फुटेज को हटवाने कका प्रयास किया ताकि एफबीआई (फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) और ‘ग्रांड ज्यूरी’ से जानकारी को छिपाया जा सके। आरोप है कि ट्रंप ने क्लब के रखरखाव कर्मियों को फुटेज को हटाने के लिए कहा।
अभियोग में कार्लोस डी ओलिवेरा नाम के उस कार्यकर्ता पर अब नये अभियोग में बाधा डालने का आरोप है। ‘कन्वरसेशन’ ने दस्तावेज मामले के विभिन्न पहलुओं और एक पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ अभूतपूर्व अभियोग पर विशेषज्ञों की कई राय प्रकाशित की हैं। दायर किए गए नये आरोपों की पृष्ठभूमि से अवगत करने के लिए यहां उनमें से कुछ का चयन किया गया है।
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गोपनीय या वर्गीकृत दस्तावेज क्या हैं?
अकादमिक जगत में उतरने से पहले सदर्न कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के विद्वान जेफरी फील्ड्स ने कई वर्षों तक राज्य विभाग और रक्षा विभाग, दोनों में एक विश्लेषक के रूप में काम किया।फील्ड्स बताते हैं कि वर्गीकृत (गोपनीय) जानकारी उस प्रकार की सामग्री है जिसे अमेरिकी सरकार या कोई एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इतना संवेदनशील मानती है कि उस तक पहुंच को नियंत्रित और प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।वह लिखते हैं, ‘‘गोपनीयता को कई स्तर के रूप में वर्गीकृत किया गया है। परमाणु हथियारों से संबंधित दस्तावेजों में निहित जानकारी की संवेदनशीलता के आधार पर उसकी गोपनीयता का स्तर बिल्कुल अलग होगा।’’
ट्रंप पर क्यों जासूसी अधिनियम के तहत आरोप लगाए जा रहे?
दस्तावेज का मामला जासूसी अधिनियम के प्रावधानों पर आधारित है जो अपने नाम के विपरीत केवल जासूसी के बजाय अन्य बहुत प्रकार के अपराधों को कवर करता है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की शिक्षा देने वाले शिकागो स्थित लोयोला विश्वविद्यालय के थॉमस ए डर्किन और जोसेफ फर्ग्यूसन ने लिखा, ‘‘अधिनियम का एक हिस्सा...इसका संबंध विदेशी सरकार के लिए जासूसी से है जिसके लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है।’’
ट्रंप की जांच के संदर्भ में उन्होंने लिखा कि, ‘‘ यह अधिनियम चुनिंदा संवदेनशील सरकारी सूचनाओं को अनधिकृत रूप से एकत्र करने, उनको अपने पास रखने या इस जानकारी को दूसरों को देने के मामले में लागू होता है।’’
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जासूसी अधिनियम के उल्लंघन के लिए यह जरूरी नहीं है कि किसी विदेशी सरकार की मदद करने की मंशा रही हो। उन्होंने लिखा, ‘‘हाल में डेमोक्रेटिक प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों - क्लिंटन प्रशासन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सैंडी बर्गर और ओबामा प्रशासन के दौरान सीआईए निदेशक डेविड पेट्रियस, दोनों को जासूसी अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया।’’
कोई राष्ट्रपति कानून से ऊपर नहीं , ट्रंप ने अपने आचरण की जांच करने वाले न्याय विभाग के प्रमुख और विशेष अधिवक्ता जैक स्मिथ पर हमला बोला और उन्हें ‘विक्षिप्त’ करार दिया। उन्होंने ऐलान किया कि पिछला अभियोग ‘राजनीति को हथियार’ बनाए जाने को दर्शाता है। नये अभियोग के सामने आने के बाद उन्होंने ‘फॉक्स न्यूज’ को बताया कि यह 'उच्चतम स्तर पर चुनावी हस्तक्षेप' है और कहा कि आरोप 'हास्यास्पद' थे।
लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के जानकार और ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के शिक्षक डकोटा रुडेसिल का कहना है कि ट्रंप के खिलाफ दस्तावेज मामला वैध, संवैधानिक, गैर-पक्षपातपूर्ण और चलाए जाने योग्य है।रुडेसिल ने लिखा, ‘‘ट्रंप और उनके सहयोगियों ने तर्क दिया कि पूर्व राष्ट्रपति पर आरोप लगाना पूरी तरह अनुपयुक्त है। लेकिन संविधान के किसी हिस्से, किसी विधान या उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले में पूर्व राष्ट्रपति को कानून से ऊपर नहीं रखा गया है।’’ अभियान जारी रहेगा
कई आपराधिक अभियोगों का सामना करने की असाधारण परिस्थितियों के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप को अपने राष्ट्रपति अभियान के साथ आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के कानून मामलों के विद्वान स्टेफनी लिंडक्विस्ट लिखते हैं, ‘‘ अमेरिकी संविधान का अनुच्छेद दो राष्ट्रपति पद के लिए बहुत स्पष्ट योग्यताएं निर्धारित करता है- राष्ट्रपति की उम्र 35 वर्ष होनी चाहिए, 14 साल से अमेरिकी निवासी हो और नैसर्गिक रूप से जन्मा नागरिक हो।’’
लिंडक्विस्ट ने कहा कि संविधान के तहत राष्ट्रपति का अभियोगों, दोषों या कैद से मुक्त होना जरूरी नहीं है। इसका मतलब है कि अभियोग का समाना कर रहा या जेल में बंद व्यक्ति भी अमेरिका के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है और राष्ट्रपति भी बन सकता है।