सरकार का चालू वित्त वर्ष में एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य
कोयला मंत्रालय ने कोयला क्षेत्र की अपनी ‘कार्य योजना’ के तहत चालू वित्त वर्ष में एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखने के साथ अपनी सार्वजनिक इकाइयों के लिए 21,030 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय लक्ष्य भी रखा है।
नई दिल्ली: कोयला मंत्रालय ने कोयला क्षेत्र की अपनी ‘कार्य योजना’ के तहत चालू वित्त वर्ष में एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखने के साथ अपनी सार्वजनिक इकाइयों के लिए 21,030 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय लक्ष्य भी रखा है।
कोयला मंत्रालय ने बुधवार को बयान में कहा कि उसने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है। इसमें कोयला उत्पादन बढ़ाकर, दक्षता संवर्द्धन और नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनने का लक्ष्य रखा गया है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह एक महत्वाकांक्षी, सुविचारित रूपरेखा है जो वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कुल 101.2 करोड़ टन कोयला उत्पादन के लक्ष्य का भी जिक्र करती है।’’
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बयान के मुताबिक, कोयला मंत्रालय ने कोयला उत्पादन बढ़ाने और खदानों की सक्षमता में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके अलावा देश में कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ाने और आयात पर इसकी निर्भरता कम करने के लिए एक रणनीति बनाई है।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए 21,030 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय लक्ष्य रखा गया है। इसमें से कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के लिए 16,500 करोड़ रुपये, एनएलसी इंडिया के लिए 2,880 करोड़ रुपये और एससीसीएल के लिए 1,650 करोड़ रुपये तय किए गए हैं।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए परिसंपत्ति मौद्रीकरण का कुल अनुमानित लक्ष्य 50,118.61 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
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पिछले वित्त वर्ष में मंत्रालय ने कुल 3.32 करोड़ टन सालाना क्षमता वाली 23 कोयला खदानों के साथ समझौते किए थे। इन खदानों से 4,700.80 करोड़ रुपये का उच्चतम वार्षिक राजस्व मिलने का अनुमान है। इसके अलावा इन खदानों से करीब 45,000 लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रोजगार मिलने की भी उम्मीद है।