उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर समेत पहाड़ी राज्यों को मिल सकता है हेल्थ सेक्टर में ये तोहफा

डीएन ब्यूरो

संसद की एक समिति ने सरकार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख एवं पूर्वोत्तर राज्यों जैसे पर्वतीय प्रदेशों में लाभार्थियों के लिए सीजीएचएस के नए वेलनेस सेंटर खोलने के लिए मौजूदा मानदंडों में ढ़ील देने या नए मानदंड बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

वेलनेस सेंटर खोलने में मिल सकती ढ़ील
वेलनेस सेंटर खोलने में मिल सकती ढ़ील


नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने सरकार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख एवं पूर्वोत्तर राज्यों जैसे पर्वतीय प्रदेशों में लाभार्थियों के लिए सीजीएचएस के नए वेलनेस सेंटर खोलने के लिए मौजूदा मानदंडों में ढ़ील देने या नए मानदंड बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया है।

समिति का मानना है कि लाभार्थियों को निकटतम केंद्रों तक पहुंचने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इससे वित्तीय बोझ़ पड़ने के साथ उनकी उत्पादकता भी प्रभावित होती है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद गिरीश भालचंद्र बापट की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जुड़ी प्राक्कलन समिति की ‘‘सीजीएचएस के अंतर्गत विभिन्न पहलों का मूल्यांकन’’ विषय पर हाल ही में संसद में पेश रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात से अवगत है कि अभी भी कई शहरों और कस्बों में केंद्रीय कर्मचारियों की बड़ी संख्या है लेकिन मौजूदा मानदंडों के कारण ऐसे शहरों में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) का वेलनेस सेंटर नहीं है।

समिति ने कहा कि देश के दूरस्थ कस्बों/शहरों विशेषकर पूर्वोत्तर और अन्य पहाड़ी राज्यों में तैनात केंद्र सरकार के अनेकों कर्मचारी इस योजना का लाभ प्राप्त करने में असमर्थ हैं। ऐसे लाभार्थियों को निकटतम केंद्रों तक पहुंचने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।

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समिति का विचार है कि इससे लाभार्थियों पर वित्तीय रूप से बोझ़ पड़ने के साथ उनकी उत्पादकता भी प्रभावित होती है। समिति चाहती है कि मंत्रालय एक नए शहर में सीजीएचएस वेलनेस सेंटर की स्थापना के लिये मानदंडों/दिशानिर्देशों में संशोधन करें।

इसमें कहा गया है कि समिति ने उन कस्बों और शहरों में सेंटर स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से भी समीक्षा करने को कहा है जहां मौजूदा मानदंड पूरे नहीं होते हैं।

समिति महसूस करती है कि सरकार को, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख एवं पूर्वोत्तर राज्यों जैसे पर्वतीय प्रदेशों में लाभार्थियों के लिए नए वेलनेस सेंटर खोलने के लिए मौजूदा मानदंडों में ढ़ील देने या नए मानदंड बनाने पर विचार करने की जरूरत है।

समिति ने इस बात का संज्ञान लिया है कि मानदंडों के अनुसार किसी नए शहर में केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) वेलनेस सेंटर खोलने के लिये केंद्र सरकार के कम से कम 6000 कर्मचारी होने चाहिए । साथ ही मौजूदा सीजीएचएस के तहत शामिल शहर में इस प्रकार का वेलनेस सेंटर खोलने के लिये कम से कम 2000 प्राथमिक कार्ड धारक होने चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति का यह भी विचार है कि सरकार को प्रारंभिक चरण में ऐसे शहरों/कस्बों में संविदा आधार पर राज्य सरकारों के सेवानिवृत डाक्टरों को शामिल करने पर विचार करना चाहिए जब तक कि ऐसे स्थानों पर तैनाती के लिये डाक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है।

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यह पूछे जाने पर कि वर्तमान में देशभर में कितने सीजीएचएस वेलनेस सेंटर किराए के भवन में हैं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने लिखित उत्तर में बताया कि वर्तमान में 122 सीजीएचएस वेलनेस सेंटर किराए के भवनों में स्थित हैं।

किराए के भवनों की मरम्मत और रखरखाव के संबंध में समिति को बताया गया है कि मालिकों द्वारा रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए मानक परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनायी गयी है। इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी दावा किया कि उसे बांद्रा (मुम्बई) और पूसा रोड (दिल्ली) में स्थित वेलनेस सेंटरों के भवनों के मालिकों के बारे में जानकारी नहीं है।

सीजीएचएस सेंटरों में प्रशासनिक जिम्मेदारियों के प्रबंधन के लिये अधिकारियों/कर्मचारियों की भर्ती/ तैनाती के लिये उठाये जा रहे कदमों के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने बताया कि सीजीएचएस के अंतर्गत प्रशासनिक अधिकारियों के 25 स्वीकृत पद हैं तथा भर्ती नियमों के अनुसार इन पदों को विभागीय पदोन्नति या प्रतिनियुक्ति के माध्यम से भरा जाना है।

मंत्रालय ने बताया कि इसमें केवल आठ पद भरे जा सके हैं क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों के पद पर पदोन्नति के लिये पात्र सीजीएचएस कर्मचारी नहीं हैं।










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