Maharashtra: सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, संविदाकर्मी तैनात करने की तैयारी
पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल बृहस्पतिवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गई।
मुंबई: पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली की मांग को लेकर महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल बृहस्पतिवार को तीसरे दिन में प्रवेश कर गई।
इस बीच, यह भी सामने आया है कि राज्य सरकार ने संविदा के आधार पर रिक्तियों को भरने के लिए निजी एजेंसियों को नियुक्त किया है।
विभिन्न कर्मचारी संगठनों के बीच समन्वय कायम करने वाले मंच ने आरोप लगाया है कि हड़ताल जारी रहने के लिए सरकार के ‘अड़ियल रवैये’ को जिम्मेदार ठहराया है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र नगरपालिका परिषद और काडर कर्मचारी संघ के साथ बातचीत हुई है।
उन्होंने ट्वीट कर बताया कि बातचीत के बाद इन दोनों संगठनों के पदाधिकारियों और इनसे जुड़े करीब 60 कर्मचारियों ने घोषणा की है कि वे हड़ताल खत्म कर काम पर लौट रहे हैं।
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों की हड़ताल को तुरंत वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसपर शुक्रवार को सुनवाई होने की उम्मीद है।
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याचिका में कहा गया है कि इससे मरीजों और छात्रों को परेशानी हो रही है।
उद्योग, ऊर्जा एवं श्रम विभाग द्वारा 14 मार्च को जारी एक सरकारी आदेश (जीआर) के अनुसार, नौ निजी एजेंसी को ‘‘अत्यधिक कुशल, कुशल, अर्ध-कुशल और गैर-कुशल’’ कर्मियों को अनुबंध पर भर्ती करने के लिए नियुक्त किया गया है।’’
उल्लेखनीय है कि हड़ताली कर्मियों की मांगों में राज्य के 2,37,000 खाली पदों को भरने, संविदा कर्मियों को नियमित करने और सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से बढ़ाकर 60 साल करने की मांग भी शामिल है।
राज्य सरकार के कर्मचारियों, अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के करीब 35 संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने दावा किया कि ‘सरकार के अड़ियल रवैये की’ की वजह से बृहस्पतिवार को लगातार तीसरे दिन भी हड़ताल जारी रही। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी हड़ताल तबतक जारी रहेगी, जबतक महाराष्ट्र सरकार पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं कर देती। हम सरकार द्वारा गठित तीन-सदस्यीय समिति को स्वीकार नहीं करेंगे।’’
अधिवक्ता गुणरतन सदव्रते द्वारा दी गई याचिका में कहा गया है कि इस हड़ताल से सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी स्कूलों तथा कॉलेजों में शिक्षा प्रभावित हो रही है।
इसमें कहा गया है कि इस आंदोलन के कारण सरकारी अस्पतालों के मरीजों को परेशानी हो रही है।
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सदाव्रते ने दावा किया कि यह हड़ताल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान हुई है।
इसमें कहा गया है, ‘‘समय पर इलाज नहीं मिलना और हड़ताल के कारण सर्जरी टलना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।’’
उसमें कहा गया है कि आवेदक कर्मचारियों के अधिकारों के खिलाफ नहीं है, लेकिन हड़ताल पर जाने से सामान्य लोगों और छात्रों को परेशानी होती है।
सदव्रते ने याचिका में कहा है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हड़ताली कर्मचारियों की मांगों पर ध्यान देने के लिए समिति गठित करने की घोषणा की है।