डोगरा कला एवं शिल्प को पुनर्जीवित स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है सरकार, जानें पूरी ये योजना
जम्मू कश्मीर में सरकार डोगरा कला एवं शिल्प को पुनर्जीवित करने के लिए महिला उद्यमियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दे रही है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
जम्मू: जम्मू कश्मीर में सरकार डोगरा कला एवं शिल्प को पुनर्जीवित करने के लिए महिला उद्यमियों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दे रही है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी ।
अधिकारियों ने बताया कि महिला उद्यमिता मंच की शुरूआत की गयी है, जो धन की उपलब्धतता, संरक्षण और अवसरों तक पहुंच प्रदान करता है, महिला उद्यमियों को सशक्त बनाता है और व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देता है।
जम्मू जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) के महाप्रबंधक वीरेंद्र कुमार मन्याल ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया, ‘‘जम्मू हाट का प्राथमिक उद्देश्य जम्मू की कला और पारंपरिक वस्तुओं को प्रदर्शित करना तथा बढ़ावा देना है। हम स्टार्टअप योजनाओं के सभी लाभार्थियों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि 15 दिन से एक महीने तक नियमित प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं, जिसमें हस्तशिल्प, हथकरघा और कपड़ा मंत्रालय सहित विभिन्न विभागों के उत्पादों का प्रदर्शन किया जाता है।
मन्याल ने कहा, ‘‘हमारे पास प्रत्येक जिले के लिए अपने अद्वितीय उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए विशेष स्थान है।’’
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जम्मू हाट एक ऐसा मंच है जहां महिला उद्यमी अपने उत्पाद और सेवाएं बेच सकती हैं, जिससे अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्हें बाजार उपलब्ध होता है। यह वन-स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करता है, जिससे महिला उद्यमियों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने, बेचने और व्यापक बाजार तक पहुंचने की अनुमति मिलती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अमरनाथ यात्रा के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। हमने देश भर में जम्मू हाट को बढ़ावा देने के लिए रेलवे स्टेशन और भगवतीनगर आधार शिविर पर बिल बोर्ड लगाए हैं।’’
उन्होंने कहा कि डीआईसी बेरोजगार व्यक्तियों को उनके स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए 50 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जम्मू हाट का उद्देश्य महिला उद्यमियों को व्यापक सहायता प्रदान करना है।
महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप में अर्थव्यवस्था, समाज और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अपार संभावनाएं हैं।
गायत्री कोटवाल नामक महिला उद्यमी ने बताया, ‘‘मैं डॉट आर्ट बनाती हूं । इससे मैं मिरर, लैंडस्केप और कई अन्य प्रकार की हस्तशिल्प वस्तुएं तैयार करती हूं। इसकी कला विधा की उत्पत्ति फ्रांस में हुई थी लेकिन अब यह हमारे देश के इस हिस्से तक पहुंच गई है ’’
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एक अन्य महिला उद्यमी तथा पूर्व शिक्षाविद् उषा आनंद ने कला की दुनिया में एक नई राह पर चलने का फैसला किया। उनका लक्ष्य पारंपरिक डोगरा शिल्प को बढ़ावा देना और महिलाओं को ग्रामीण कला से जोड़ना है। उषा आनंद का स्टार्टअप अब फल-फूल रहा है, जिसमें पांच सौ महिलायें विभिन्न पारंपरिक शिल्प वस्तुओं का उत्पादन कर रही हैं।
ऐसी दुनिया में जहां नवाचार सीमाओं से परे है, महिला उद्यमी बाधाओं को तोड़ रही हैं और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वे अर्थव्यवस्था और समाज दोनों में योगदान दे रही हैं।
जम्मू की 54 वर्षीय गृहिणी प्रिया गुप्ता ने अपशिष्ट पदार्थों को सुंदर घरेलू सजावट के सामान में बदलकर कला के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को जोड़ने का एक उल्लेखनीय तरीका खोजा है।
उन्हीं की तरह सीता देवी ने अपना स्टार्टअप स्थापित करने के लिए खादी से ऋण लिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘खादी विलेज को ऋण के लिए धन्यवाद, मैं अब डोगरा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक स्थानीय-डिज़ाइन सूट, कुर्ते और जूट उत्पाद बनाती हूं।’’